Know How mRNA Technology Works – UPSC

Know How mRNA Technology Works – UPSC

जानिए mRNA तकनीकि कैसे काम करती है

वैक्सीन एक जीवों के शरीर का उपयोग कर बनाया गया द्रव्य है, जिसके प्रयोग से शरीर में किसी रोग विशेष के प्रति लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। वैक्सीन बैक्टीरिया और वायरस दोनों से बनाये जा सकती हैं। वैक्सीन के द्वारा शरीर में antibodies और antitoxin दोनों बनते है। वैक्सीन का वर्गीकरण दो श्रेणियों में किया जा सकता है :

  • परंपरागत वैक्सीन
  • नई मैसेंजर RNA (mRNA) वैक्सीन

परंपरागत वैक्सीन के अंतर्गत आते हैं –

  1. कुछ वैक्सीन अक्रिय जीवों से निर्मित होती है। उद्धरण के तौर पर : covaxin, जो मृत अक्रिय कोरोना वायरस से बनी वैक्सीन है। किसी व्यक्ति का टीकाकरण होने पर उसकी इम्यून कोशिकाएं अक्रिय वायरस की पहचान करेंगी और इम्यून सिस्टम को एंटीबाडी बनाने के लिए अलर्ट करेंगी।
  2. कुछ वैक्सीन वायरल रोगवाहक (viral vector) से निर्मित होती हैं। उदहारण के तौर पर : covishield , जो adenovirus को कमज़ोर करके बनाया जाता है। Adenovirus एक सामान्य ज़ुकाम वाला वायरस है जो चिंपांज़ी से लिया गया है। इसे संशोधित (modify) कर कोरोना वायरस जैसा बनाया गया है ताकि यह हमारे शरीर में कोरोना वायरस के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
  3. कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिनका निर्माण बैक्टीरिया या वायरस के प्रोटीन पर आधारित है। जैसे की Hepatitis B vaccine और novavax

नई messenger RNA वैक्सीन –

mRNA क्या है?

यह DNA के जेनेटिक कोड का प्रतिरूप तैयार करके उस प्रतिरूप को ribosome में ट्रांसफर कर देता है। Ribosome इस प्रतिरूप (copy) में उपस्थित जेनेटिक कोड का प्रयोग कर प्रोटीन निर्मित करेगी। mRNA वैक्सीन इसी तकनीकि का प्रयोग कर बनाई गई हैं। mRNA तकनीक Katalin kariko और Drew Weissman के द्वारा विकसित की गई है, जिसका प्रयोग Moderna और Pfizer द्वारा अपनी वैक्सीन में किया गया है।

mRNA वैक्सीन टीकाधारक की कोशिका में स्पाइक प्रोटीन बनाने का सन्देश भेजती है। स्पाइक प्रोटीन के माध्यम से ही कोरोना वायरस हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करता है। यह स्पाइक प्रोटीन अकेले ही टीकाधारक को बीमार करने में सक्षम नहीं है, परन्तु यह उसके शरीर में कोरोना वायरस के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर देता है। यह तकनीक मानव शरीर में वायरस के molecules (स्पाइक प्रोटीन) धोके से बनवाती है और शरीर को एक bioreactor में परिवर्तित कर देती है।
बाकि परम्परागत वैक्सीन की भांति mRNA वैक्सीन जीवित कोशिकाओं में नहीं बनाई जाती। यह chemicals और enzymes से संश्लेषित की जाती है।

हमारी कोशिकाएं बाहरी RNA को कैसे पहचानती है?

हमारी कोशिकाओं के चारो और संवेदक कण (sensing molecules) होते हैं जो बाहरी RNA की पहचान कर लेते हैं और cytokinin नामक इम्यून कण छोड़ते हैं। ये इम्यून कण वायरस को तब तक रोकते हैं जब तक शरीर में एंटीबाडी निर्मित नहीं हो जाती। ज्ञात रहे की cytokinin के बहुत अधिक उतसर्जन से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इससे बचने के लिए ही mRNA तकनीक में RNA को रासायनिक तरीके से संशोधित (chemically modified) किया जाता है।

mRNA कण बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं और बाहरी वातावरण में कुछ मिनटों के लिए ही अपना अस्तित्व बनाकर रख पाते हैं। इसलिए इन कणों को मिश्रित वसाओं के nanoparticles में पैक किया जाता है । mRNA वैक्सीन 95 % प्रभावी हैं।

इस तकनीक को वैक्सीन के अलावा पारम्परिक गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हार्ट अटैक या आनुवंशिक बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। इस तकनीक का अगला लक्ष्य HIV और SICKLE CELL बीमारियां हैं जिनमे mRNA का इस्तेमाल रोगी के शरीर में CRISPR जैसे जीन एडिटिंग टूल्स (Gene editing tools) का सन्देश कोशिकाओं में भेजना है ताकि जीनोम में स्थाई परिवर्तन किया जा सके।