इस लेख में आप पढ़ेंगे : श्रीलंका में चीन की बढ़ती भूमिका- UPSC
यह किसी से छिपा नहीं है की चीन अपनी तथाकथित ‘स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स’ रणनीति के तहत दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण श्रीलंका के सन्दर्भ में समझा जा सकता है।
चीन ने ‘इंफ्रास्ट्रक्चर डिप्लोमेसी’ के तहत श्रीलंका में अरबो डॉलर का निवेश किया है। ज्ञात है कि चीनी कंपनियों ने हंबनटोटा में अपने फ़ंड से बंदरगाह को विकसित किया था लेकिन श्रीलंका जब इस क़र्ज़ को नहीं चुका पाया तो यह पोर्ट उसे चीन को सौंपना पड़ा है जबकि ‘फ़ेस मास्क डिप्लोमैसी’ के तहत चीन ने श्रीलंका को अपने यहां विकसित वैक्सीन, पीपीई, फ़ेस मास्क और टेस्टिंग किट डोनेट की है। चीन ने श्रीलंका को 11 लाख सीनोफ़ार्म वैक्सीन डोनेट की हैं जिससे उसे टीकाकरण अभियान फिर से शुरू करने में मदद मिली है।
हाल ही में श्रीलंका कि संसद ने 20 मई 2021 को बहुचर्चित पोर्ट सिटी इकोनॉमिक कमिशन बिल पारित किया है। इस नए कानून के लागू होने से चीन की वित्तीय मदद से बनने वाले पोर्ट सिटी क्षेत्र में कुछ राष्ट्रीय कानूनों से छूट मिल जाएगी। पोर्ट सिटी परियोजना 269 हेक्टेयर परिसर में फैली 1.4 अरब डॉलर कि परियोजना है जिसका निर्माण कार्य और फंडिंग चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीएचईसी) कर रही है और यह कंपनी चीन की सरकारी कंपनी चाइना कम्यूनिशेन कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (सीसीसीसी) की सबसिडियरी कंपनी है।
269 हेक्टेयर की कुल ज़मीन में से 116 हेक्टेयर की ज़मीन सीसीसीसी को 99 साल के लिए लीज़ पर दी गई है। यह श्रीलंकाई इतिहास की सबसे महत्वाकांक्षी विकास परियोजना है, इसमें बड़े पैमाने पर आर्थिक, व्यावसायिक और आवासीय परियोजनाएं शामिल हैं।
नए क़ानून के अनुसार पोर्ट सिटी अब स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन होगा। इस पर स्थानीय प्रशासनिक निकाय का शासन नहीं होगा बल्कि इकोनॉमिक कमीशन के पास कारोबारी गतिविधियों के लिए लाइसेंस जारी करने से लेकर 40 सालों तक टैक्स में छूट देने के अधिकार शामिल होंगे।
2019 में ईस्टर पर आतंकवादी हमला और इसके बाद कोरोना वायरस की महामारी ने श्रीलंका के कारोबार की कमर तोड़ दी है जबकि क़र्ज़अदायगी भी श्रीलंका के सम्मुख एक बड़ी चुनौती रही है श्रीलंका पर कुल विदेशी क़र्ज़ क़रीब 55 अरब डॉलर है और यह श्रीलंका की जीडीपी का 80 फ़ीसदी है। इस क़र्ज़ में चीन और एशियाई विकास बैंक का 14 फ़ीसदी हिस्सा है। जापान का 12 फ़ीसदी, विश्व बैंक का 11 फ़ीसदी और भारत का दो फ़ीसदी हिस्सा है। ऐसी स्थिति में चीन ने श्री लंका को 50 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ देने का वादा किया है ताकि वह अपनी माली हालत सुधार सके। इसके आलावा श्रीलंका चीन की महत्वकांशी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ का भी हिस्सा है।
इन सब तथ्यों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है की श्रीलंका चीन की उपनिवेशीकरण की नीति के शिकंजे में फंस चूका है। भारत के लिए यह एक चिंता का विषय है क्योकि पाकिस्तान पहले से ही चीन के साथ गठजोड़ बनाये हुए है।