कोरोना की दूसरी लहर में भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्मुख प्रमुख चुनौतियां -UPSC

कोरोना की दूसरी लहर में भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्मुख प्रमुख चुनौतियां -UPSC

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इस लेख में आप पढ़ेंगे : कोरोना की दूसरी लहर में भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्मुख प्रमुख चुनौतियां -UPSC

पिछले 14 महीनो में देश दूसरी बार पूर्ण बंदी जैसे हालात का सामना कर रहा है, वर्ष 2020 की पहली तिमाही में तालाबंदी के कारण सकल घरेलु उत्पाद शून्य से 24% नीचे आ गयी थी हलाकि इस बार दूसरी लहर से निपटने के लिए राज्यों ने अपने अपने हिसाब से बंदी और सख्त प्रतिबन्ध जैसे कदम उठाये है, अधिकाँश राज्यों में लगभग 7 हफ्तों से काम धंधे बंद पड़े है। ऐसे में इस साल भी अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति रहेगी इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

पिछले साल MSME उद्योगों के साथ-साथ बिजली, सीमेंट, कोयला, खनन, उर्वरक, तेल और प्राकृतिक गैस तथा विनिर्माण जैसे क्षेत्रो को बड़े संकट का सामना करना पड़ा था। इस साल की दूसरी लहर में भी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रो को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा :-

  1. देश में इस समय 6 करोड़ 35 लाख MSME इकाइयां है। विनिर्माण उत्पादन में इनकी हिस्सेदारी करीब 45% है और करीब 12 करोड़ लोगो को इनसे रोजगार मिला हुआ है। यह क्षेत्र पिछले साल की मार से अब तक उभर नहीं पाया था और अब दूसरी लहर में जिस प्रकार से मांग, खपत और निवेश नहीं बढ़ पाने की संभावना व्यक्त की जा रही है उससे इस क्षेत्र को दोबारा उभरने में लम्बा वक्त लग सकता है और इसमें भी उसे सरकार के आर्थिक पैकेज की आवश्यकता पड़ेगी।
  2. इस साल के मई महीने में बेरोजगारी की दर 2 अंको में जा पहुंची है और शहरी क्षेत्रो में बेरोजगारी की दर ग्रामीण क्षेत्रो के मुकाबले कहीं अधिक है। जब लोगो के पास रोजगार नहीं होंगे तो ऐसे में मांग और खपत बढ़ने का सवाल ही नहीं उठता अतः जो लोग अपनी आजीविका गवा बैठे है उन्हें फिर से मुख्यधारा से जोड़ना सरकारों के लिए बड़ी चुनौती है।
  3. कोरोना की इस दूसरी लहर में 4.32 लाख प्रवासी मजदूर महाराष्ट्र से उत्तर-प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, असम व् पश्चिम बंगाल जैसे राज्यो को लौट रहे है। इनमे से 3.3 लाख प्रवासी मजदूर उत्तर-प्रदेश और बिहार से है। ऐसे में औद्योगिक राज्यों के उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
  4. कोरोना की इस दूसरी लहर से देश के सकल घरेलु उत्पाद में 4.5 लाख करोड़ के नुक्सान का अंदेशा है जो GDP के 2.4% के बराबर है। 2022 के लिए देश की आर्थिक विकास दर 11% से घटकर 10.4% के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
  5. सेवा क्षेत्र में पर्यटन, हॉस्पिटैलिटी (होटल, रेस्टोरेंट) और एयरलाइन्स पर दूसरी लहर का सबसे अधिक असर पड़ने की सम्भावना है। ब्रिटेन और जेर्मनी जैसे कई यूरोपियन देशो ने अपने नागरिको को भारत न जाने की सलाह दी है। ज्ञात है की भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का योगदान लगभग 6.8% है और इस उद्योग में करीब 8.75 करोड़ लोग लगे हुए है।
  6. विनिर्माण क्षेत्र पर भी इस लहर का असर तो होगा लेकिन अन्य क्षेत्रो की अपेक्षा कम रहने की सम्भावना है क्योकि ई-कॉमर्स के जरिये सामान लोगो तक पहुंचने का तरीका ढूंढ लिया गया है, कम-से-कम आम आदमी से जुडी चीजे लगातार पहुचायी जा रही है।
  7. उपभोगता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति बढ़कर 5.52 % पर जा पहुंची है जिसका मुख्य कारण खाद्य वस्तुओ का महँगा होना है। कोरोना काल में जिस प्रकार से खाद्य आपूर्ति बाधित हुई है, पेट्रोलियम पदार्थो की लगातार कीमते बढ़ती गई है उसने महंगाई को बढ़ाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है।

इस कोरोना काल में एक अच्छी बात यह हुई है की GST संग्रह में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी है पिछले 6 माह से GST का मासिक संग्रह एक लाख करोड़ से अधिक रहा है जो अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है। इसके अलावा जिस प्रकार से कोरोना की प्रथम लहर में कृषि विकास दर ने अर्थव्यवस्था को संभालने का काम किया था, इस बार भी रवि की फसल का बम्पर उत्पादन हुआ है और ऐसे में कृषि विकास दर अच्छी रहने की संभावना है।

मनरेगा जैसे कार्यक्रम लोगो को रोजगार प्रदान करने में काफी मददगार साबित होने वाले है और इस समय मनरेगा के तहत रोजगार मांग 2.45 करोड़ जा पहुंची है अतः केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को साथ मिलकर जीवन और आजीविका दोनों को बचने के लिए युद्ध स्तर पर काम करना होगा और इससे भी बढ़कर स्वास्थ क्षेत्र के ढांचागत सुधार को प्राथमिकता देनी होगी। देश की पूरी आबादी का वैक्सीनेशन एक बड़ी चुनौती होगा। देश में अबतक कुल आबादी का मात्र 1.2% आबादी का ही वैक्सीनेशन हो पाया है और संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए सभी लोगो का वैक्सीनेशन अत्यंत जरूरी है।