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भारतीय अर्थव्यवस्था में छोटे उद्योगों की भूमिका – UPSC

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इस लेख में आप पढ़ेंगे : भारतीय अर्थव्यवस्था में छोटे उद्योगों की भूमिका – UPSC

Covid-19 महामारी ने देश के सम्मुख जहाँ नई चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं, वहीँ कुछ नए अवसर भी उपलब्ध कराए हैं जिसमे MSME क्षेत्र की निर्णायक भूमिका होने वाली है। देश में इस समय 6 करोड़ से भी अधिक MSME इकाइयां हैं। हालांकि इनमे से पंजीकृत इकाइयां एक चौथाई भी नहीं हैं। इन इकाइयों में सेवा और विनिर्माण दोनों क्षेत्र शामिल हैं। पहले दोनों क्षेत्रों में कार्यरत इकाइयों के लिए अलग अलग मापदंड तय किये गए थे लेकिन अब दोनों के लिए सामान मापदंड निर्धारित किये गए हैं –

MSME क्षेत्र की उपयोगिता :

  • सकल घरेलु उत्पाद में करीब 30% का योगदान।
  • कुल निर्यात में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 50% रही है।
  • कृषि के बाद सबसे अधिक रोज़गार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र है। करीब 124 मिलियन लोग इसमें कार्यरत हैं।
  • 14% MSME क्षेत्र की कंपनियां महिलाओं द्वारा संचालित हैं।
  • इन कंपनियों का 60% ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित है।
  • MSME सेक्टर को राष्ट्र की समृद्धि का इंजन भी कहा जाता है।

MSME क्षेत्र के सम्मुख प्रमुख चुनौतियां :

  • MSME क्षेत्र हमेशा से ही तकनीकि अभाव से जूझता रहा है। ऐसे में चौथी औद्योगिक क्रांति में जो नई-नई तकनीकी जैसे कृत्रिम बुद्धिमता, रोबोटिक्स और डाटा एनालिटिक्स समाहित हुई हैं वे इस क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती पेश करती हैं।
  • इस क्षेत्र को जहाँ Rs 36 ट्रिलियन क्रेडिट की आवश्यकता है वहीँ इसे मुश्किल से Rs 16 ट्रिलियन क्रेडिट ही मिल पाता है।
  • MSME क्षेत्र अधिकांशतः असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत आता है , जिसमे से 86% इकाइयां पंजीकृत नहीं हैं।

MSME सेक्टर के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम :

  • 2021-22 के बजट में इस क्षेत्र के लिए बजट आवंटन दुगना कर दिया गया है। अर्थात Rs15,700 करोड़ निर्धारित किया गया है।
  • इस क्षेत्र में ऋण गारंटी के लिए Rs 10,000 करोड़ के कोष का प्रावधान किया गया है।
  • MSME क्षेत्र का बहुत बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य कार्य से जुड़ा हुआ है। ऐसे में प्रधान मंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना इस क्षेत्र को प्रोत्साहन देगी।
  • 2021-22 के बजट में सरकार के द्वारा 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क बनाए जाने की घोषणा की गई है। टेक्सटाइल से जुडी MSME इकाइयों को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत –
    • Rs 20,000 करोड़ का सहायक ऋण इस क्षेत्र को दिया गया है।
    • Rs 3 लाख करोड़ कोलैटरल फ्री आटोमेटिक लोन्स के लिए आवंटित किये गए हैं।
    • इस क्षेत्र के लिए Rs 50,000 करोड़ का फण्ड ऑफ़ फंड्स बनाया गया है।
    • इसकी परिभाषा को और अधिक व्यापक किया गया है ताकि इसमें और अधिक MSME इकाई सम्मिलित की जा सकें।

ज्ञात है की जर्मनी और चीन का MSME सेक्टर उनकी जीडीपी में 55 से 60% का योगदान करता है। इससे पता चलता है की भारत में इस क्षेत्र के विकास के लिए कितना काम बाकी है।