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OECD का ‘ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक’ – UPSC

  • Post category:Environment / Prelims
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इस लेख में आप पढ़ेंगे: OECD का ‘ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक’ – UPSC / Global Plastic Outlook

तेज़ी से बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक पर्यावरणीय समस्या है क्योंकि यह पारिस्थितिक तंत्रों, सतत विकास और अंततः मानवता के सामाजिक-आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) का उद्देश्य “प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना” और इसके विरुद्ध विश्वव्यापी जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करना था।

OECD के ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक (Global Plastic Outlook) से पता चलता है कि:

प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतर-सरकारी वार्ता समिति के अनुसार, अकेले 2024 में 50 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन या उपयोग किया गया, जिससे लगभग 40 करोड़ टन कचरा उत्पन्न हुआ। अगर मौजूदा स्थिति को सुधारा नहीं गया, तो 2060 तक वैश्विक प्लास्टिक कचरा लगभग तीन गुना बढ़कर 1.2 अरब टन तक पहुँच सकता है

प्लास्टिक प्रदूषण इतनी गंभीर समस्या क्यों है?

प्लास्टिक का गैर-जैव-निम्नीकरणीय गुण (non-biodegradable) एक गंभीर चुनौती है। यह समय के साथ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटता जाता है, जिससे सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक बनते हैं जो माउंट एवरेस्ट की चोटी से लेकर महासागरों की गहराई तक, पृथ्वी के हर हिस्से तक पहुँचकर उसे दूषित करते हैं। प्लास्टिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 3.4% का योगदान देता है। यूएनईपी के अनुसार, प्लास्टिक का उत्पादन, उपयोग और निपटान 2040 तक कुल वैश्विक कार्बन बजट का 19% हो सकता है। इसकी स्वास्थ्य लागत बहुत अधिक है।

क्या उपाय प्रस्तावित किये जा रहे हैं?

OECD क्या है: