RCEP (रीजनल कॉम्प्रीहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप) क्या है?
RCEP) सदस्य देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है जिसका उद्देश्य आपस में टैरिफ़ और दूसरी बाधाओं को काफ़ी कम करना है। ये देश दुनिया की आबादी का 30 प्रतिशत हिस्सा हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इनका योगदान 30 प्रतिशत है। इनमें चीन और जापान जैसी दूसरी और तीसरी सब से बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। ये यूरोपीय संघ से भी बड़ा ट्रेडिंग ब्लॉक है। आरसीईपी में 10 दक्षिण-पूर्व एशिया (ASEAN) के देश हैं। इनके अलावा दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड भी इसमें शामिल हुए हैं। आसियान के 10 सदस्य देश ये हैं: ब्रूनेई, इंडोनेशिया, वियतनाम, बर्मा, फ़िलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया और लाओस। ASEAN देशों के साथ दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पहले से लागू है। इस संगठन की पहल चीन ने 2012 में उस समय की थी जब अमेरिका के नेतृत्व में ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (TPP) नाम की एक व्यापारिक संधि के निर्माण पर ज़ोर दिया गया नवंबर 2020 मे चीन समेत एशिया-प्रशांत महासागर क्षेत्र के 15 देशों ने ‘दुनिया की सबसे बड़ी व्यापार संधि’ पर वियतनाम के हनोई में हस्ताक्षर किये हैं
भारत RCEP का हिस्सा क्यों नहीं है ?
भारत इस संधि का हिस्सा नहीं है। सौदेबाज़ी के समय भारत भी RCEP में शामिल था, मगर पिछले साल ही भारत इससे अलग हो गया था। तब भारत सरकार ने कहा था कि ‘इससे देश में सस्ते चीनी माल की बाढ़ आ जायेगी और भारत में छोटे स्तर पर निर्माण करने वाले व्यापारियों के लिए उस क़ीमत पर सामान दे पाना मुश्किल होगा‘
दरसल आरसीईपी के सदस्य ग़ैर-सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने के बजाय आपस में और एक-दूसरे के साथ अधिक व्यापार करेंगे। भारत के आसियान देशों, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय व्यापार समझौते हैं। लेकिन चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के साथ इसका कोई व्यापारिक समझौता नहीं है ऐसे में अगर न्यूज़ीलैंड कोई ऐसा सामान भारत से खरीदता आया है जो किसी आरसीईपी सदस्य देश में भी उपलब्ध है तो अब वो भारत से सामान खरीदने के बजाय आरसीईपी वाले देश से हासिल करने को तरजीह देगा क्योंकि वो उसे कम टैरिफ़ की वजह से कम दाम में मिल जाएगा. यानी भारत के निर्यात पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
CPTPP (‘कॉम्प्रिहेन्सिव एंड प्रोग्रेसिव ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप’) क्या है?
ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (TPP) का विचार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का रहा है। जिसका मक़सद चीन के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते दबदबे के ख़िलाफ़ एक आर्थिक गुट खड़ा करना था। इसके बाद ट्रंप ने अमेरिका को इस सौदे में से निकाल लिया था और जापान के नेतृत्व के बाद इसने CPTPP का रूप लिया था साल 2018 में CPTPP के समझौते पर 11 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। न्यू ज़ीलैण्ड इस समझौते के प्रशासनिक केंद्र के रूप में काम करता है। सितम्बर 2021 में चीन ने CPTPP में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा कर दी है। CPTPP में शामिल देशों की कुल आबादी 50 करोड़ से ज्यादा है। इस रूप में भी ये देश यूरोपियन यूनियन (EU) की बराबरी करते हैं। CPTPP में अभी ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम शामिल हैं।