इस लेख में आप पढ़ेंगे: विक्रम 3201: भारत का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर – UPSC / Vikram 3201/ Semiconductor
सेमीकंडक्टर चिप्स आधुनिक कंप्यूटिंग की आधारशिला हैं। स्मार्टफ़ोन से लेकर इंटरनेट को चलाने वाले विशाल डेटा केंद्रों तक, इलेक्ट्रिक कारों से लेकर क्रूज़ मिसाइलों तक, उच्च-स्तरीय लग्ज़री उत्पादों से लेकर मौसम की भविष्यवाणी करने वाले सुपर कंप्यूटर तक—ये सभी इन छोटी-छोटी चिप्स पर चलते हैं।
सेमीकंडक्टर (Semiconductor) क्या हैं ?
ज़्यादातर पदार्थ या तो चालक होते हैं — जो विद्युत धारा प्रवाहित होने देते हैं — या कुचालक — जो विद्युत को रोकते हैं। उदाहरण के लिए, तांबे का तार एक चालक है, जबकि काँच एक कुचालक है। अर्धचालक (Semiconductor) एक ऐसा पदार्थ है जिसकी विद्युत चालकता चालक और कुचालक के बीच होती है। जैसे सिलिकॉन या जर्मेनियम। विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करने की इसकी अद्वितीय क्षमता इसे ट्रांजिस्टर, डायोड और इंटीग्रेटेड सर्किट जैसे आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आधार बनाती है। अर्धचालक की चालकता में अशुद्धियाँ मिलाकर हेरफेर किया जा सकता है, इस प्रक्रिया को “डोपिंग” कहा जाता है। 1971 में, इंटेल ने दुनिया की पहली माइक्रोप्रोसेसर चिप ‘4004’ लॉन्च की। इसने कंप्यूटिंग में एक क्रांति ला दी, और तब से सेमीकंडक्टर सामग्री इस उद्योग का एक अभिन्न अंग बन गई है।
अर्धचालक (semiconductors) इलेक्ट्रॉनिक्स का अनिवार्य हिस्सा क्यों हैं?
अर्धचालकों का उपयोग करके ट्रांजिस्टर के आविष्कार (1940 के दशक के अंत में) ने इलेक्ट्रॉनिक्स में क्रांति ला दी। ट्रांजिस्टरों ने भारी और अविश्वसनीय वैक्यूम ट्यूबों की जगह ले ली। 1958 में, जैक किल्बी ने एकीकृत सर्किट (आईसी) का आविष्कार किया, जिसमें एक एकल चिप में कई ट्रांजिस्टर लगाए गए, जिससे चिप युग की शुरुआत हुई। रॉबर्ट नॉयस ने स्वतंत्र रूप से बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए आईसी डिजाइन विकसित किया, और बाद में इंटेल के सह-संस्थापक बने। इंटेल की 4004 चिप (1971) दुनिया का पहला माइक्रोप्रोसेसर था। आधुनिक अर्धचालक चिप्स में सिलिकॉन वेफर्स पर ट्रांजिस्टर, कैपेसिटर, प्रतिरोधक और डायोड शामिल हैं।
‘मेक इन इंडिया’ के तहत विक्रम 3201 भारत का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर है।

