पनडुब्बियों के लिए विकसित AIP तकनीक – UPSC

पनडुब्बियों के लिए विकसित AIP तकनीक – UPSC

इस लेख में आप पढ़ेंगे : पनडुब्बियों के लिए विकसित AIP तकनीक – UPSC

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डीजल संचालित पनडुब्बियों के लिए एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली के विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

पनडुब्बियां मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं :

  • पारंपरिक
  • परमाणु

            पारंपरिक पनडुब्बियां                 परमाणु पनडुब्बियां
1.इनमे डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन का प्रयोग किया जाता है।ये पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से संचालित होती हैं।
2.इन्हें अपने ईंधन को जलाने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इनके इंजन को ऊर्जा देने के लिए परमाणु रिएक्टर लगा होता है। उसमें नाभिकीय विखंडन के लिए ऑक्सीजन की ज़रुरत नहीं होती।
3.इन पनडुब्बियों को हर दिन समुद्र की सतह पर ऑक्सीजन के लिए आना पड़ता है।ये अधिक समय तक पानी के नीचे ऑपरेट कर सकती हैं।

AIP क्या है –

AIP में हाइड्रोजन आधारित फ्यूल सेल से ऊर्जा प्राप्त होगी।

पारंपरिक पनडुब्बियों में यदि एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली को लगा दिया जाए तो उसे सप्ताह में केवल एक बार ऑक्सीजन लेने की आवश्यकता होगी। इस तकनीकि को प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत NMRL द्वारा विकसित किया गया है। कोई भी पनडुब्बी तभी तक घातक होती है, जबतक दुश्मन को उसके बारे में पता नहीं चलता। ये पनडुब्बियां गहरे पानी में लंबे समय तक गश्त कर सकती हैं। अगर एक बार कोई पनडुब्बी सतह पर दिखाई दे, तो उसके बाद सोनार और मैरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट के जरिए दुश्मन देश उसका आसानी से पता लगा सकता है।

इस तकनीकि के लाभ :

  • इससे नौसेना के क्षेत्र में देश की सामरिक क्षमता बढ़ेगी।
  • गहरे समुद्र में यह अधिक समय तक रह सकेगी।
  • इसे हाइड्रोजन आधारित फ्यूल सेल से ऊर्जा प्राप्त होगी, इसलिए यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।

NOTE:

  1. AIP तकनीकि को आईएनएस कलवरी में 2023 तक लगाया जाएगा।
  2. NMRL DRDO की एक लैब है।
  3. सरकार ने प्रोजेक्ट 75 इंडिया को हाल ही में मंजूरी प्रदान की है। इसके तहत इंडियन नेवी के लिए 6 AIP आधारित सबमरीन का निर्माण किया जाएगा और इस प्रोजेक्ट पर 43 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
  4. भारत के पास स्वदेशी निर्मित एक मात्र पनडुब्बी : आईएनएस अरिहंत