मवेशियों से मीथेन उत्सर्जन में कमी कैसे सम्भव  है – UPSC
In lactating cows, a 20% reduction in methane emissions represents the same amount of energy needed to synthesize 0.6 kg/d of milk.

मवेशियों से मीथेन उत्सर्जन में कमी कैसे सम्भव है – UPSC

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इस लेख में आप पढ़ेंगे : मवेशियों से मीथेन उत्सर्जन में कमी कैसे सम्भव है – UPSC

मवेशियों को चारे के रूप में जो घास भूसा खिलाया जाता है, उससे मीथेन गैस बनती है, जो डकार के जरिए वायुमंडल में फैल जाता है और प्रदूषण का कारण बनती है। ग्लासगो में आयोजित कॉप26 में मीथेन उत्सर्जन एक बड़ा मुद्दा रहा है। तमाम देश मीथेन उत्सर्जन कम करने पर बहस कर रहे हैं।

इसी बीच, अमरीका और यूरोपीय संघ ने साल 2030 तक कृषि से उत्सर्जित होने वाले मीथेन में 30 प्रतिशत तक की कटौती करने की शपथ ली है।मवेशियों के शरीर से निकलने वाले मीथेन को कम करने में समुद्री शैवाल काफी मददगार हो सकता है। समुद्री शैवाल को सुपरफूड माना जाता है, लेकिन मवेशियों के चारे के रूप में इसका इस्तेमाल अभी तक नहीं हुआ था। क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल फूड सिक्योरिटी (आईजीएफएस) के विज्ञानियों ने अपने शोध में पाया है कि समुद्री शैवाल का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में करने पर मीथेन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। पूर्व में इसको लेकर आस्ट्रेलिया और अमरीका में शोध हुआ था जिसमें पता चला था कि लाल समुद्री शैवाल की प्रजाति फूड सप्लिमेंट के रूप में मवेशियों को खिलाने पर मीथेन उत्सर्जन में 80 प्रतिशत की कमी आती है। लाल समुद्री शैवाल गर्म जलवायु में बड़े पैमाने पर उगता है। लेकिन, शोध में ये भी मालूम चला था कि लाल समुद्री शैवाल में भारी मात्रा में ब्रोमोफॉर्म पाया जाता है जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है।

समुद्री शैवाल यूके और आयरलैंड का स्थानीय पौधा है जो मुख्य तौर पर भूरा या हरा होता है, जिसमें ब्रोमोफॉर्म नहीं होता।यूके और आयरलैंड के समुद्री शैवाल में फ्लोरोटैनिन भी पाया जाता है,ये एंटी बैक्टीरियल होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। ऐसे में ये मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

समुद्री शैवाल का इस्तेमाल मीथेन उत्सर्जन को कम करने का प्राकृतिक व टिकाऊ तरीका है और इसके विस्तार की भी अपार संभावनाएं हैं। ये समुद्री किनारों की जैवविविधता को भी सुरक्षित रखेंगे। उल्लेखनीय है कि यूके में ग्रीन हाउस गैस का 10 प्रतिशत हिस्सा कृषि से उत्पन्न होता है। कृषि क्षेत्र में भी सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन गाय पालन से होता है क्योंकि गाय चारा खाकर मीथेन छोड़ती है। वहीं उत्तरी आयरलैंड में कुल ग्रीनहाउस गैस में मीथेन की हिस्सेदारी एक चौथाई है और इसका 80 प्रतिशत हिस्सा खेती से निकलता है।