कर्ज़ बाँटने से क्या देश की अर्थव्यवस्था को उभारना संभव है ? (New Stimulus Package) – UPSC

कर्ज़ बाँटने से क्या देश की अर्थव्यवस्था को उभारना संभव है ? (New Stimulus Package) – UPSC

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इस लेख में आप पड़ेगे : कर्ज़ बाँटने से क्या देश की अर्थव्यवस्था को उभारना संभव है ? – UPSC

सरकार के द्वारा 28 जून 2021 को 6,28,993 करोड़ रुपए के एक नए आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है, ताकि कोरोना से मार खाई हुई अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके। इससे पहले भी सरकार क़रीब 24 लाख 35 हज़ार करोड़ रुपए के राहत और स्टिमुलस पैकेज देने का एलान कर चुकी है। लेकिन इसमें से ज़्यादातर रक़म क़र्ज़ के नाम पर ही दी जानी है। अब वह क़र्ज़ वापस आएगा या नहीं यह एक अलग सवाल है पर मोटे तौर पर यह उधार बाँटने की ही योजना है। इस वक़्त सबसे ज़्यादा ज़रूरत इस बात की है कि लोग पहले लिए हुए क़र्ज़ चुकाने की हालत में आएँ और नए क़र्ज़ लेने की हिम्मत दिखा सकें।

इस प्रकार के राहत पैकेज सामने आने के साथ ही यह बहस प्रारम्भ होना भी स्वाभाविक है कि क्या तरह-तरह के क़र्ज़ बाँट कर अर्थव्यवस्था को उभारना संभव है? जबकि ज़रूरत तो बाज़ार में डिमांड पैदा करने की है। क़र्ज़ तो कोई तब लेगा जब उसे पैसे की ज़रूरत होगी। जब लॉकडाउन, बेरोज़गारी और अनिश्चितता की वजह से बाज़ार में मांग क़रीब-क़रीब ख़त्म हो चुकी हो, ऐसे में व्यापारियों या उद्योगपतियों को क़र्ज़ देने से क्या फ़ायदा होगा?

हालांकि इस इस राहत पैकेज के कुछ सकारात्मक परिणाम भी हुए हैं –

  • व्यापारिक क़र्ज़ों और घर के क़र्ज़ या कार, स्कूटर या घर के सामान जैसी चीज़ों या किसी भी वजह से लिए गए पर्सनल लोन की भी ईएमआई भरने से कुछ महीनों की छूट मिल गई। हालाँकि इस बीच भी ब्याज़ चढ़ते रहना था। फिर भी बेहद मुसीबत में फँसे लोगों के लिए यह कुछ राहत का सबब तो बना।
  • कोरोना के दौरान रोज़गार खो चुके लोगों या नए लोगों को रोज़गार पर रखने वाली इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना लाई गई।
  • छोटे उद्यमियों के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना की मियाद बढ़ाई गई।
  • 10 चैंपियन सेक्टरों को पीएलआई स्कीम में क़रीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए देने का इंतज़ाम भी किया गया. और भी कई एलान थे और उन पर काम भी हो रहा है।

हालांकि समस्या खत्म होने कि बजाय और गंभीर होती दिख रही है, क्योंकि दूसरी लहर अभी समाप्त नहीं हुई है और तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। फिर भी सरकार ने नई घोषणाओं में आठ महत्वपूर्ण योजनाओं का ऐलान किया है –

  • बच्चों के इलाज की सुविधाएँ बढ़ाने के लिए 23 हज़ार 220 करोड़ रुपए देने का एलान किया गया है।
  • पिछड़े इलाक़ों में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने यानी इलाज की बेहतर सुविधाएँ बनाने के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी स्कीम लाई जा रही है।
  • टूरिज्म सेक्टर को सहारा देने के लिए ट्रैवल एजेंटों को 10 लाख रुपए और टूरिस्ट गाइडों को एक लाख रुपए का क़र्ज़ सरकार की गारंटी पर दिया जाएगा। यही नहीं इनका कारोबार बढ़ाने के लिए विदेशों से भारत आने वाले पहले पांच लाख टूरिस्टों की वीज़ा फ़ीस माफ़ कर दी जाएगी।
  • एमएसएमई उद्योगों को सहारा देने के लिए सरकार ने पहले से चल रही इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम का आकार तीन लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर साढ़े चार लाख करोड़ रुपए कर दिया है। इस स्कीम में उद्यमियों को कुछ गिरवी रखे बिना क़र्ज़ दिए जाते हैं
  • एक नई स्कीम के तहत 25 लाख छोटे कारोबारियों को सवा लाख रुपए तक का क़र्ज़ रियायती ब्याज दर पर दिया जाएगा।
  • आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना और नए रोज़गार पैदा करने पर मिलने वाली इंसेंटिव स्कीम यानी पीएलआई की मियाद भी एक एक साल बढ़ाने का एलान किया है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन योजनाओं से कितना फ़ायदा होगा और किसे होगा? ज्ञात है कि सरकार पहले जो क्रेडिट गारंटी स्कीम लाई थी, उसमें तीन लाख करोड़ के सामने सिर्फ़ दो लाख 69 हज़ार करोड़ रुपए का ही क़र्ज़ उठा है। आज जब उपभोक्ता कि जेब में पैसे डाल कर मांग बढ़ाने कि ज़रुरत है, उस वक्त सरकार व्यापारियों और उद्यमियों को क़र्ज़ देने पर क्यों इतना ज़ोर दे रही है? इसके लिए वो गारंटी भी देगी, ब्याज की दर भी कम करेगी और गिरवी रखने की शर्त भी हटा देगी। लेकिन क़र्ज़ लेकर कोई उद्योगपति या दुकानदार करेगा क्या? उसके लिए क़र्ज़ की ज़रूरत तभी होती है, जब ग्राहक उसका माल खरीदें। इस वक्त की सबसे बड़ी मुसीबत है बाज़ार में मांग की कमी और उसकी वजह है लाखों की संख्या में बेरोज़गार हुए लोग, बंद पड़े कारोबार और लोगों के मन में छाई हुई अनिश्चितता। अतः सरकार को उसकी मांग बढ़ाने का जल्द से जल्द कोई कारगर समाधान खोजना होगा, तभी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है।