इस लेख में आप पढ़ेंगे : ज़ायकोव-डी वैक्सीन (ZyCov-D vaccine)- UPSC
भारत में देसी फार्मास्युटिकल कंपनी ज़ायडस कैडिला की वैक्सीन ज़ायकोव-डी जल्द ही बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए उपलब्ध हो सकती है। यह वैक्सीन कोविड के लिए दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन होगी। यह दूसरी स्वदेशी वैक्सीन है जिसे पूर्णतया भारत में तैयार किया गया है।
DNA आधारित वैक्सीन
- इंसान के शरीर पर दो तरह के वायरस – डीएनए और आरएनए के हमलों की बात की जाती है। कोरोना वायरस एक आरएनए वायरस है जो कि एक सिंगल स्ट्रेंडेड वायरस होता है। डीएनए डबल स्ट्रेंडेड होता है और मानव कोशिका के अंदर डीएनए होता है। इसलिए जब हम इसे आरएनए से डीएनए में परिवर्तित करते हैं तो इसकी एक कॉपी बनाते हैं। इसके बाद ये डबल स्ट्रेंडेड बनता है और आख़िरकार इसे डीएनए की शक्ल में ढाला जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि डीएनए वैक्सीन ज़्यादा ताकतवर और कारगर होती है। अब तक स्मॉलपॉक्स से लेकर हर्पीज़ जैसी समस्याओं के लिए डीएनए वैक्सीन ही दी जाती है।
- इस वैक्सीन को 28 दिन के अंतराल में तीन डोज़ में दिया जाएगा. जबकि अब तक उपलब्ध वैक्सीन सिर्फ दो डोज़ में दी जा रही थीं।
- वैक्सीन के पहले डोज़ के बाद ये देखा जाता है कि वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति में पहली खुराक से कितनी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। अगर पर्याप्त क्षमता विकसित नहीं होती है तो दूसरा और तीसरा डोज दिया जाता है। भारत में 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों की संख्या लगभग 14 करोड़ मानी गयी है। जायडस कैडिला का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है। अतः अगस्त तक यह वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है।