इस लेख में आप पढ़ेंगे : NITI Aayog Health Index 2021 – UPSC
नीति आयोग का चौथा स्वास्थ्य सूचकांक (Health Index 2021) वर्ष 2019-20 के लिए हाल ही में प्रकाशित हुआ है। “स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत” शीर्षक वाली यह रिपोर्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्वास्थ्य में उनके साल-दर-साल वृद्धिशील प्रदर्शन के साथ-साथ उनकी समग्र स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर रैंक करती है। इस रिपोर्ट के बारे में कुछ तथ्य हैं-
- “स्वास्थ्य सूचकांक” नीति आयोग, विश्व बैंक और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा शुरू की गई एक रिपोर्ट का हिस्सा है। इसे संयुक्त रूप से नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार, सीईओ (CEO) अमिताभ कांत, अतिरिक्त सचिव (Additional Secretary) डॉ राकेश सरवाल और विश्व बैंक की वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ शीना छाबड़ा द्वारा जारी किया गया है।
- यह सूचकांक 24 संकेतकों को तीन डोमेन के अंतर्गत वर्गीकृत करता है – ‘स्वास्थ्य परिणाम‘ (Health Outcomes), ‘शासन और सूचना‘ (Governance and Information) और ‘प्रमुख आदान/प्रक्रियाएं‘ (Key Inputs/Processes)। प्रत्येक डोमेन का एक आवंटित भार होता है।
- स्वास्थ्य परिणाम- इसमें नवजात मृत्यु दर, अंडर-5 मृत्यु दर, जन्म के समय लिंगानुपात जैसे पैरामीटर शामिल हैं।
- शासन और सूचना- इसमें संस्थागत प्रसव, स्वास्थ्य के लिए निर्धारित प्रमुख पदों पर वरिष्ठ अधिकारियों की औसत व्यस्तता जैसे पैरामीटर शामिल हैं।
- प्रमुख आदान/प्रक्रियाएं- इसमें स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं में कमी, कार्यात्मक चिकित्सा सुविधाएं, जन्म और मृत्यु पंजीकरण और तपेदिक (TB) उपचार सफलता दर शामिल हैं।
- नीति आयोग की इस रिपोर्ट के अनुसार, देश के बड़े राज्यों में
- केरल स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में सबसे आगे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे नीचे है।
- वार्षिक वृद्धिशील प्रदर्शन के मामले में, उत्तर प्रदेश, असम और तेलंगाना शीर्ष तीन रैंकिंग वाले राज्य हैं।
- छोटे राज्यों में स्वास्थ्य सूचकांक में मिजोरम सबसे ऊपर है जबकि नागालैंड सबसे नीचे है।
- केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव को शीर्ष पर और अंडमान और निकोबार को सबसे नीचे स्थान दिया गया है।
राज्यों के लिए उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी प्रयासों का आकलन करने के लिए यह डेटा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि उनके स्वास्थ्य संबंधी नीति निर्माण में कहां कमी रही होगी। वे बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों से भी प्रेरणा ले सकते हैं और इस प्रकार स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ सहकारी संघवाद को मजबूत कर सकते हैं।