क्या क्वाड एशियाई नाटो में तब्दील होने की दिशा में अग्रसर है? -UPSC

क्या क्वाड एशियाई नाटो में तब्दील होने की दिशा में अग्रसर है? -UPSC

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क्वाड क्या है ?

द क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक राजनीतिक वार्ता समूह है, जो वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे की पहल पर वजूद में आया था। दरअसल क्वाड की स्थापना के पीछे मूल वजह चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना था।

क्वाड का विस्तार क्यों

पिछले कुछ वर्षो से अमेरिका और चीन के मध्य व्यापार युद्ध के हालात बने हुए है, तो वहीँ भारत और चीन के बीच पूर्वी लदाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव की स्थिति रही है। जापान और चीन के मध्य विवाद भी काफी पुराने है और दक्षिणी चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को लेकर वह सतर्क है। ऐसे में क्वाड समूह की सक्रियता को भली-भांति समझा जा सकता है। कुछ ऐसे भी देश है जो इस संगठन की स्थापना की स्थापना को लेकर राहत महसूस कर रहे है। ये वे देश है जो चीन का खुल कर विरोध करने से डरते है लेकिन चीनी निवेश के जाल में फंसे हुए है। आशियान के कुछ सदस्य देशो का चीन से टकराव है। उदाहरण के तौर पर मेकाँग नदी के जल को लेकर थाईलैंड, लाओस, और वियतनाम का चीन से विवाद है जबकि दक्षिणी चीन सागर में चीन लगातार विएतनाम पर हावी होने का प्रयास कर रहा है अतः हो सकता है की देर-सबेर आशियान के देश क्वाड में सम्मिलित होने की घोषणा करे।

हिन्द महासागर में बदलते समीकरण

हिन्द महासागर में चीन की विस्तारवादी नीति भारत के लिए चिंता का बड़ा कारण बनी हुई है। नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान में चीन की मजबूत स्थिति ने हालात को और भी पेचीदा बना दिया है। जहां तक बांग्लादेश का सवाल है, उसके सोनाडिया बंदरगाह को विकसित करने का ठेका प्राप्त करने में चीन असफल रहा है। अब बांग्लादेश जापान के सहयोग से मातरबारी बंदरगाह को विकसित करने की घोषणा कर चुका है। हाल ही में चीन ने बांग्लादेश को चेतावनी दी है की यदि वह क्वाड का हिस्सा बनता है तो उसे भारी नुक्सान उठाना पद सकता है। ऐसा लगता है कि चीन इस बात को लेकर परेशान है कि कहीं बांग्लादेश क्वाड की पहल का हिस्सा न बन जाए। दरअसल इस समय चीनवुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी का सहारा ले रहा है। इस कूटनीति के तहत चीन की सरकार के संदेशवाहक, चीन की सुरक्षा और व्यापारिक हितों को लेकर सख़्त बयान देते हैं। ऐसा लगता है की चीन बांग्लादेश के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींचने का प्रयास कर रहा है। बांग्लादेश अपनी रक्षा ख़रीद का ज़्यादातर हिस्सा चीन से आयात करता है, उसके पास इस वक़्त जो भी हथियार हैं, उनमें से 86 प्रतिशत चीन से हासिल किए गए हैं। जापान और अमेरिका के साथ भी बांग्लादेश के आर्थिक-व्यापारिक रिश्ते तेजी से विकसित हो रहे है जिसको लेकर चीन का चिंतित होना भी स्वाभाविक है। जापान की लगभग 300 कम्पनिया बांग्लादेश में निवेश कर चुकी है वहीँ अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार भी बढ़ रहा है। निकट भविष्य में ताइवान और दक्षिण कोरिया भी क्वाड की ओर रुख कर सकते है क्योंकि ताइवान और दक्षिण कोरिया से चीन का विवाद पुराना है।

चीन की प्रतिक्रिया

ऐसा भी हो सकता है की क्वाड के प्रत्युत्तर में चीन भी कोई ऐसा ही संगठन खड़ा करने का प्रयास करे। क्वाड की स्थापना से चीन और रूस दोनों ही परेशान है और हाल ही में चीन और रूस ने क्षेत्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ‘क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद मंच‘ का गठन किया है। भविष्य में इसमें ईरान और पाकिस्तान को भी शामिल करने का प्रयास किया जा सकता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है की आने वाले समय में दक्षिण एशिया दो गुटों के मध्य नव शीत युद्ध का केंद्र बन सकता है क्योकि चीन और रूस दक्षिण एशिया क्षेत्र में अमेरिका की सक्रियता को किसी भी रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।