निजता को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों और सरकार के मध्य टकराव – UPSC

निजता को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों और सरकार के मध्य टकराव – UPSC

इस लेख में आप पढ़ेंगे : निजता को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों और सरकार के मध्य टकराव – UPSC

25 फ़रवरी 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के माध्यम से सोशल मीडिया से जुडी कंपनियों की अधिक से अधिक जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रावधान किये गए थे –

  • ये नियम 50 लाख से अधिक उपभोक्ता वाले सोशल मीडिया मध्यस्थों पर लागू होंगे। और उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी चैट या सन्देश की उत्पत्ति की पहचान हो सके।
  • व्हाट्सऐप तथा अन्य इंस्टैंट मेसेजिंग सर्विस ऐंड टु ऐंड इनक्रिप्शन का इस्तेमाल करती हैं जहां भेजने वाला और पाने वाला ही संदेश पढ़ते हैं। सरकार के अनुरोध पर संदेश भेजने वाले की पहचान करने के लिए यह इनक्रिप्शन खत्म करना होगा।
  • यदि किसी सामग्री पर सरकार की आपत्ति है तो उसे नोटिस के 36 घंटे के भीतर हटाना होगा।
  • सोशल मीडिया मंचों के अलावा नए नियम स्लैक, जूम, लिंक्डइन, यूट्यूब और मुख्यधारा की समाचार साइटों पर भी लागू होते हैं जहां पाठकों की टिप्पणियां दर्ज होती हैं।
  • इन नए नियमों के अनुसार सोशल मीडिया सहित सभी मध्यस्थों को उचित सावधानी का पालन करना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें क़ानून के द्वारा दी गईं सुरक्षाएं नहीं मिलेंगी।
  • उन्हें एक मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी जो अधिनियम और नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए ज़िम्मेदार होगा।
  • इन बड़े मध्यस्थों को क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चौबीसों घंटे समन्वय के लिए एक नोडल संपर्क अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी जो शिकायत निवारण तंत्र के अंतर्गत कार्यों को करेगा। इन पदों पर उन्हीं लोगों की नियुक्ति होगी जो भारत के निवासी हों।
  • ये नियम विशेष रूप से महिला उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी मध्यस्थ पर डालते हैं।

सवाल यह उठता है कि नए प्रावधानों के अमल में आने के बाद सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले लोगों कि निजता किस हद तक सुरक्षित रहेगी। इस बात की आशंका जताई जाती रही है कि सरकार कुछ परोक्ष रास्तों से लोगों कि निजता और अभिव्यक्ति को निगरानी के दायरे में लाना चाहती है। ज्ञात है कि भारत में कोई विशिष्ट निजता कानून नहीं है। हालांकि सरकार ने भरोसा दिलाया है कि नई व्यवस्था में सिर्फ ऐसे संदेशों के स्त्रोतों के पता लगाया जाएगा जिनसे हिंसा या अव्यवस्था फैलती है या देश कि सम्प्रभुता को खतरा पैदा होता है या फिर अश्लील सामग्रियों का प्रसार होता है।

पिछले कुछ समय से व्हाट्सप्प अपने उपयोगकर्ताओं के लिए नए निजता नियमों को लेकर जिस तरह कि स्वीकार्यता मांग रहा है उसपर भी सवाल उठे हैं। एक बात तो साफ़ है, ‘आपत्तिजनक‘ कि परिभाषा सरकार तय करेगी और उसकी नज़र में जो सामग्री इस दायरे में आएगी उस पर नज़र रखने के लिए एक नई व्यवस्था बनेगी। इसमें इस बात कि क्या गारंटी है कि निगरानी के दायरे में साधारण लोगों कि निजता नहीं आएगी? इससे क्या लोगों की अभिव्यक्ति के अधिकार सीमित नहीं होंगे? अतः नई व्यवस्था इस प्रकार होनी चाहिए जिसमे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी चोट न पहुंचे और देश कि एकता व अखंडता या महिलाओं की गरिमा को नुक्सान पहुंचने वाली सामग्री पर भी अंकुश लग सके।