अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever) – UPSC

अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever) – UPSC

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इस लेख में आप पढ़ेंगे : अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever) – UPSC

हाल ही में पूर्वोत्तर राज्य विशेष कर मिजोरम इस बीमारी के कारण चर्चा में है। यह एक वायरल रक्तस्रावी बीमारी है जो सूअरों और जंगली सूअर को संक्रमित करती है और इस संक्रमण की मृत्यु दर लगभग 100 प्रतिशत है। लक्षणों के रूप में संक्रमित जानवरों को बुखार हो जाता है और उनकी त्वचा बैंगनी हो जाती है, आंखों से पानी निकलता है और मृत्यु से पहले गंभीर, खूनी दस्त होता है। बिना किसी इलाज या टीके के अभाव में मारना (कलिंग) ही इस अत्यधिक संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका है। यह बीमारी जानवरों के सीधे संपर्क के माध्यम से पानी, मिट्टी, चारा, जूते, वाहन और कृषि उपकरण जैसी वस्तुएं, जीवित या मृत सूअर या सूअर के मांस से फैलती है।

पूर्वोत्तर में देश की 90.6 लाख सूअरों की आबादी का लगभग 47 प्रतिशत है और यहां सूअर स्थानीय आहार और संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। भारत में एएसएफ का कोई इतिहास नहीं रहा है। मई 2020 में पहले अरुणाचल प्रदेश और फिर असम से मामले सामने आए थे। एएसएफ के चलते सिर्फ पूर्वोत्तर राज्य ही नहीं बल्कि एशियाई मुल्क और देश के अलग-अलग हिस्सों में छोटे किसानों को काफी बड़ा झटका लगा है। पंजाब में करीब 1,200 से 1,300 किसान पिग फॉर्मिंग करते हैं।

यदि इसके इतिहास की बात करे एएसएफ को पहली बार 1910 में केन्या में घरेलू सूअरों में पहचाना गया था। 1957 में एएसएफ पहली बार अफ्रीका के बाहर, पुर्तगाल में दिखाई दिया और कुछ ही दशकों में, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका के अन्य देशों में फैल गया। इसने 2018 में एशिया में प्रवेश किया, जब दुनिया का सबसे बड़ा पोर्क उत्पादक और उपभोक्ता चीन ने पहला मामला दर्ज किया। हालांकि, भारत पड़ोसी बांग्लादेश और म्यांमार द्वारा 2018 और 2019 में एएसएफ की रिपोर्ट करने के बावजूद 2020 तक इस बीमारी से मुक्त रहा।

चीन सूअर मांस का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक है। यह सोयाबीन का सबसे बड़ा आयातक भी है जिसका उपयोग चारे के रूप में किया जाता है।