इस लेख में आप पढ़ेंगे: फ्रंट-रनिंग (Front-running) क्या है? हाल में यह क्यों चर्चा में है? – UPSC
फ्रंट-रनिंग एक तरह की धोखाधड़ी है जो शेयर बाजार में होती है। इसमें एक ब्रोकर या ट्रेडर को शेयरों के किसी सौदे की पहले से ही जानकारी होती है और वह खुद पहले से उन शेयरों का सौदा कर देता है। इसका अभिप्राय है कि वह अपने ग्राहकों की जानकारी का गलत इस्तेमाल करके खुद फ़ायदा उठाता है। उदाहरण के तौर पर, एक अमेरिकी फर्म भारतीय बाज़ार में शेयरों का सौदा करना चाहती है। A व्यक्ति को इस बारे में जानकारी होती है, क्योंकि उन्हें ही इस सौदे की ख़रीद-फ़रोख्त करनी है। A को पता होता है कि- अमेरिकी कंपनी किन शेयरों को ख़रीदना या बेचना चाहती है, वो किस भाव पर शेयरों का सौदा करने का इरादा रखते हैं, और ये सौदा कब होने जा रहा है। अमेरिकी क्लाइंट की इस संवेदनशील जानकारी को गुप्त रखने के बजाय A इसे B को लीक कर देते हैं। इसके बाद ‘इस खेल’ में B और उनके सहयोगियों की भूमिका शुरू होती है। मान लीजिए कि अमेरिकी कंपनी किसी कंपनी के एक लाख शेयर 100 रुपये के भाव पर ख़रीदने का इरादा रखती है. तो इस जानकारी के आधार पर B का नेटवर्क इस सौदे से पहले 100 रुपये या इससे नीचे के भाव पर शेयर ख़रीद लेता है, जब अमेरिकी कंपनी एक लाख शेयरों का सौदा करती है, तो ज़ाहिर है इस शेयर का भाव भी बढ़ जाता है। माना कि ये भाव 106 रुपये तक चला जाता है तो B का नेटवर्क अब अपने शेयर बेच देता है और थोड़े से ही समय में 6 रुपये प्रति शेयर का मुनाफ़ा कमा लेता है।
भारत में फ्रंट-रनिंग अवैध है हाल ही में शेयर बाज़ार की नियामक संस्था सेबी ने ‘फ्रंट-रनिंग’ घोटाले के आरोप में केतन पारेख सहित तीन लोगों को शेयर बाजार से बैन कर दिया है। सेबी का कहना है कि इन्होंने अवैध तरीके से 65.77 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा कमाया।