भारत और यूरोपियन संघ के मध्य मुक्त व्यापर समझौता क्या वाकई में संभव है? – UPSC

भारत और यूरोपियन संघ के मध्य मुक्त व्यापर समझौता क्या वाकई में संभव है? – UPSC

  • Post category:Economy
  • Reading time:1 mins read

इस लेख में आप पढ़ेंगे : भारत और यूरोपियन संघ के मध्य मुक्त व्यापर समझौता क्या वाकई में संभव है? – UPSC

मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दुनिया के दो देशो अथवा दो समूहों के बीच की गई एक व्यापार संधि है, जिसके तहत आयातों एवं निर्यातों पर कई तरह की छूट प्रदान की जाती है ताकि दोनों देशो में सामान सस्ता हो सके। जून 2007 में भारत और यूरोपियन संघ के मध्य मुक्त-व्यापार समझौते को लेकर वार्ता प्रारम्भ हुई थी लेकिन 2013 में यह वार्ता रद्द हो गयी थी। पिछले 8 वर्षो के बाद अब मई 2021 में इस मुद्दे को लेकर फिर से कोई रास्ता निकलने का प्रयास किया जा रहा है।

भारत के लिए यूरोपियन संघ की कितनी अहमियत है उसे निम्न बिन्दुओ के आधार पर समझा जा सकता है –

  • यूरोपियन संघ भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। 2020 में भारत और यूरोपियन संघ के बीच 62 .8 बिलियन यूरो का वस्तु व्यापार हुआ है जो भारत के कुल व्यापार का 11 % है, वही चीन के साथ भारत की व्यापारिक भागीदारी 12 % और अमेरिका के साथ 11.7% है ।
  • भारत यूरोपियन संघ के लिए दसवाँ बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2020 में यूरोपियन संघ के कुल व्यापर का 1.8 % भारत के साथ हुआ है।
  • पिछले एक दशक में यूरोपियन संघ और भारत के बीच वस्तु व्यापार 72% बढ़ा है।
  • यूरोपियन संघ की ओर से भारत आने वाला निवेश पिछले एक दशक में दो गुना हो गया है अर्थात इसमें 8 -18 % तक वृद्धि हुई है ।
  • भारत में करीब 6 हजार यूरोपियन कंपनी मौजूद है जो सीधे तौर पर 1.7 मिलियन नौकरियाँ प्रदान करती है।

यह सही है की भारत और यूरोपियन संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए वार्ता शुरू करने पर सहमत हो गए हैं लेकिन आगे का रास्ता आसान नहीं होगा क्योकि महामारी के कारण विभिन्न देशों में संरक्षणवाद की धारणा बढ़ रही है। भारत और ईयू के बीच औपचारिक वार्ताएं विभिन्न मुद्दों पर मतभेद होने के कारण आठ वर्ष पहले रुक गई थी। तब इस समूह ने वाहन और शराब पर आयात शुल्क में कटौती करने पर बहुत ज़ोर दिया था। वर्ष 2013 के बाद से औसत शुल्क में 3 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह देखना होगा कि सरकार किस प्रकार से शुल्क में कमी की मांग को समायोजित करती है। भारत को ईयू जैसे बाजारों के साथ सौदा करते समय कम से कम अपने प्रतिस्पर्धियों के समान स्तर पर आना होगा। महामारी के चलते जिस प्रकार से आर्थिक गतिविधियां बंद पड़ी है, बाजार में कोई मांग नहीं है, बेरोजगारी के कारण लोगो की क्रयशक्ति समाप्त होने की कगार पर है, नए रोजगारो का सर्जन करना सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती है ऐसे में यूरोपियन संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए सरकार को कड़ा विचार मंथन करना होगा।

NOTE –

(1) 1995 में दुनिया के देशों के बीच व्यापार को सरल बनाने के लिए GATT (जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड) समझौता हुआ था, जिसको लागू करने की जिम्मेदारी विश्व व्यापार संगठन (WTO) की थी। भारत प्रारम्भ से ही इसमें शामिल है।
(2) वह प्रणाली, जिसमें दो देश या देशों का समूह आपस में सीधे-सीधे समझौता कर सकता है. इसे एफटीए कहा गया, इसमें WTO का सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। भारत ने 1998 में सबसे पहले श्रीलंका के साथ FTA समझौता किया था।