इस लेख में आप पढ़ेंगे : भारत के लिए बांग्लादेश की अहमियत – UPSC
वर्ष 2021 बांग्लादेश के लिए काफी ऐतिहासिक रहने वाला है क्योकि इस वर्ष वह अपनी 50वी सालगिरह के साथ-साथ अपनी स्वतंत्रता के नायक शेख मुजिहबुर्रहमान की जन्म-शताब्दी भी मना रहा है। निसंदेह बांग्लादेश की आज़ादी में भारत का प्रत्यक्ष योगदान रहा है ऐसे में बांग्लादेश के साथ भारत के सम्बन्ध काफी मायने रखते है। पिछले कुछ समय से दोनों देशो के रिश्तो में उतार-चढ़ाव आता रहा है जिसके लिए एक बड़ा कारण चीन का बांग्लादेश में बढ़ता प्रभाव है तो दूसरा कारण भारत की आंतरिक राजनीति भी है जिससे बांग्लादेश की घरेलु राजनीति प्रभावित होती रही है। जैसे कि भारत में ‘संशोधित नागरिकता कानून’ और ‘राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन‘ से बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठनों को मुखर होने का अवसर मिला है।
वैसे तो शेख हसीना हमेशा से ही भारत समर्थक रही है परन्तु पिछले कुछ समय में उसके आसपास चीनी समर्थक समूह मजबूत हुआ है। जो कम से कम भारत के नजरिये से सही नहीं है। हाल ही में ‘सिलहट एयरपोर्ट टर्मिनल‘ विस्तार का कार्य एक चीनी कंपनी को दिया गया है वहीं तीस्ता नदी के प्रबंधन को लेकर चीन ने बांग्लादेश को एक अरब डॉलर के क़र्ज़ का प्रस्ताव दिया है। चीन ने बांग्लादेश से निर्यात होने वाली अधिकांश वस्तुओ को शून्य कर समूह में शामिल कर एक बड़ा कदम उठाया है जिससे बांग्लादेश में किय गये निवेश का उसे अच्छा खासा लाभ मिलेगा। चाइना टैरिफ कमिशन ने जून 2020 में बांग्लादेश से आने वाले 97 % उत्पादों पर शुल्क समाप्त कर दिया था।
भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी बांग्लादेश के सहयोग के बिना सफल नहीं हो सकती, क्षेत्रीय विकास के लिए बांग्लादेश-भूटान-इंडिया-नेपाल फोरम बना हुआ है लेकिन इस फोरम की सफलता बांग्लादेश के बिना संभव नहीं है, बांग्लादेश-चीन-इंडिया-म्यांमार (BCIM) फोरम में भी बांग्लादेश की अहम् भूमिका है। BIMSTEC फोरम का वह संस्थापक सदस्य है जिस प्रकार से चीन पाकिस्तान के साथ गठजोड़ बना चूका है उसी प्रकार वह बांग्लादेश के रास्ते बंगाल की खाड़ी में अपनी ताकत बढ़ने के लिए प्रयत्नशील है उसकी नजर बांग्लादेश के चटगांव सहित कुछ और बंदरगाहों पर भी है। सड़क मार्ग द्वारा चीन को सीधा चटगांव से जोड़ भारत की पूर्वी सीमा पर चीन ग्वादर बंदरगाह की तर्ज पर चटगांव को विकसित करना चाहता है ऐसे में भारत को बांग्लादेश के मामले में अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
आर्थिक दृष्टि से बांग्लादेश इस समय दक्षिण एशिया में सबके लिए एक उदाहरण बना हुआ है एक वक्त था जब बांग्लादेश का बजट 100% क़र्ज़ और अनुदान का होता था लेकिन आज आत्म-निर्भर है। आज वह खाद्यान के उत्पादन में भी आत्म-निर्भर है। कपडा उद्योग के निर्यात में वह काफी आगे निकल चूका है और वहां आज प्रतिव्यक्ति आए 1900 डॉलर के लगभग है ऐसे में आज भारत के लिए बांग्लादेश में निवेश के अच्छे अवसर है। इस अवसर का लाभ यदि भारत के बजाये चीन उठता है तो यह भारतीय कूटनीति की विफलता मानी जाएगी।