आईपीसीसी रिपोर्ट/ IPCC Report 2021 – UPSC

आईपीसीसी रिपोर्ट/ IPCC Report 2021 – UPSC

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इस लेख में आप पढ़ेंगे : आईपीसीसी रिपोर्ट/ IPCC Report 2021 – UPSC

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने 9 अगस्त को अपनी रिपोर्ट जारी की,है जिसे आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप रिपोर्ट ऑन द फिजिकल साइंस बेसिस नाम दिया गया है। 1400 से अधिक वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में निम्न बिन्दुओ पर बल दिया गया है –

  • अगले 20 वर्षों में वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा। पिछला दशक बीते 1.25 लाख वर्षों के मुकाबले काफी गर्म था, जो 1850 से लेकर 1900 के बीच के मुकाबले 2011 से 2020 के दौरान 1.09 डिग्री तापमान अधिक दर्ज किया गया।
  • यदि वर्तमान की तरह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो 21 वीं सदी के मध्य में ही वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस सीमा को पार कर जाएगा।
  • तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि भारी से भारी बारिश की घटनाओं की तीव्रता को 7 फीसदी बढ़ा देगी।
  • कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता (कान्सन्ट्रेशन) 20 लाख वर्षों में सबसे अधिक है।
  • समुद्री जलस्तर में वृद्धि 3,000 वर्षों में सबसे तेज है।
  • आर्कटिक समुद्री बर्फ 1,000 वर्षों में सबसे कम है।
  • अगर हम अपने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित कर भी दें, तब भी अगले 1,000 वर्षों तक बर्फ का पिघलना जारी रहेगा।
  • महासागरों का गर्म होना जारी रहेगा, यह 1970 के दशक से 2 से 8 गुना बढ़ गया है।
  • समुद्र के स्तर में वृद्धि सैकड़ों वर्षों तक जारी रहेगी।

इस रिपोर्ट का काफी महत्व है, जाहिर है इसका इस्तेमाल नवंबर में ब्रिटेन (ग्लासगो) में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के COP26 (क्लाइमेट चेंज कॉन्फ़्रेंस ऑफ़ द पार्टीज़) सम्मेलन में भी होगा। COP26 से पहले यह रिपोर्ट सामने आना उन देशों के लिए आंखें खोलने वाला है जिन्होंने अभी तक अगले दशकों के लिए उत्सर्जन में कटौती के लिए कोई वास्तविक योजना नहीं तैयार की है। बीते कुछ महीनों में जिस तेज़ी से जंगलों में आग लगने और बाढ़ के मामले बढ़े हैं, उसके लिए जलवायु परिवर्तन को वजह माना गया है। जून में अमेरिका में भयंकर गर्मी पड़ी। अब दुनिया के लोग इस बात को लेकर बेहद आश्वस्त होंगे कि यह जलवायु परिवर्तन के बिना हो ही नहीं सकता।

IPCC क्या है?

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है, जिसे जलवायु परिवर्तन के विज्ञान का आकलन करने के लिए 1988 में स्थापित किया गया था। IPCC सरकारों को वैश्विक तापमान बढ़ने को लेकर वैज्ञानिक जानकारियां मुहैया कराती है ताकि वे उसके हिसाब से अपनी नीतियां विकसित कर सकें। 1992 में जलवायु परिवर्तन पर इसकी पहली व्यापक मूल्यांकन रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इस कड़ी में यह छठी रिपोर्ट आ रही है जो कि चार वॉल्यूम में बंटी हुई है, जिसमें पहली जलवायु परिवर्तन के भौतिक विज्ञान पर आधारित है। बाक़ी हिस्सों में इसके प्रभाव और समाधान पर समीक्षा होगी। पिछले पैनल ने 2013 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी।