कोविड-19 टीकाकरण नीति – UPSC

कोविड-19 टीकाकरण नीति – UPSC

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कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के द्वारा 16 जनवरी 2021 को प्रथम चरण का टीकाकरण प्रारम्भ किया गया था, जिसके अंतर्गत 3 करोड़ स्वास्थकर्मी और फ्रंटलाइन कर्मचारियों को टीका लगाया जाना था। जबकि एक मार्च 2021 को दूसरे चरण के तहत 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को और उसके बाद 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग का टीकाकरण किया गया। अब एक मई से तीसरे चरण का अभियान प्रारम्भ हुआ है। सरकार का दावा है कि इस साल के अंत तक देश के सभी 100 करोड़ लोगों को कोविड-19 की वैक्सीन मिल जाएगी। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 200 करोड़ वैक्सीन डोज़ की ज़रूरत होगी। ज्ञात रहे कि 4 जून तक देश में 22 करोड़ वैक्सीन डोज़ का इस्तेमाल किया जा चुका है और देश की कुल आबादी के लगभग 4.2 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

16 जनवरी से जब देश में वैक्सीन लगने की शुरुआत हुई तो टीकाकरण की रफ्तार अप्रैल महीने में सबसे ज़्यादा रही। औसतन 40 लाख टीके हर दिन लगाये गए। जबकि मई में यह औसत गिरकर 23 लाख डोज़ प्रतिदिन तक पहुँच गई। यदि अगस्त से दिसंबर तक 108 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जाना है, तो इस हिसाब से भारत को हर महीने कम से कम 40 करोड़ वैक्सीन डोज़ का उत्पादन करना होगा। अगर वर्तमान गति से टीकाकरण जारी रहता है तो इतनी संख्या में सबको टीका लगने में ढाई से तीन साल तक का वक्त लग जाएगा।

स्वास्थ मंत्रालय के द्वारा अगस्त-दिसंबर के बीच देश में कौन सी वैक्सीन के कितने डोज़ उपलब्ध होंगे, उसका ब्यौरा दिया गया है –

कोविशील्ड (सीरम इंस्टीट्यूट) – 75 करोड़ डोज़,
कोवैक्सीन (भारत बायोटेक) – 55 करोड़ डोज़,
बायो ई-सबयूनिट वैक्सीन – 30 करोड़ डोज़,
ज़ाइडस कैडिला – 5 करोड़,
सीरम इंस्टीट्यूट कोवैक्स – 20 करोड़,
भारत बायोटेक नेज़ल वैक्सीन – 10 करोड़ डोज़,
जेनोवा वैक्सीन – 6 करोड़ और
स्पुतनिक-वी – 15 करोड़

हालांकि अब तक केवल दो वैक्सीन, कोवीशील्ड और कोवैक्सीन का ही इस्तेमाल हुआ है, और रूस कि स्पुतनिक V भी मंगाई जा चुकी है। बाकी जिन पाँच वैक्सीन का ज़िक्र किया गया है वो अब तक इस्तेमाल के लिए अप्रूव नहीं हुई हैं।

ज्ञात है कि देश में टीकाकरण योजना के दो चरणों में वैक्सीन खरीदने और लोगों के लिए उपबब्ध कराने की पूरी ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार के पास थी। लेकिन तीसरे चरण के लिए जो नई नीति जारी की गई है उसमे वैक्सीन कंपनियां कुल उत्पादन का 50 फ़ीसदी केंद्र सरकार को देंगी, जो स्वास्थकर्मियों और 45 साल या उससे अधिक आयु वालों को मिलती रहेंगी। इसके बाद बचे हुए 50 फ़ीसदी को वैक्सीन कंपनियां राज्य सरकार और निजी अस्पताल को पहले से तय कीमत पर देंगी।

दरअसल, वर्तमान में केंद्र की टीकाकरण नीति के मुताबिक 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को मुफ्त टीका लगेगा और 18-44 आयु वर्ग के लोगों को इसके लिए भुगतान करना होगा। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने 18-44 आयु वर्ग के कई लोगों को प्रभावित किया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय में कोविड की पहली लहर के विपरीत जब बुजुर्ग और सहरुग्णता वाले लोग अधिक प्रभावित थे, वहीँ दूसरी लहर में युवा लोग अधिक प्रभावित हुए हैं। अतः सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की इस टीकाकरण नीति को बेतुका बताया है, क्योंकि इसमें 18-44 आयु वर्ग, जो दूसरी लहर से सबसे प्रभावित वर्ग है, को मुफ्त टीकाकरण सुविधा नहीं दी गयी है। इस वर्ष के बजट में कोविड-19 के टीके खरीदने के लिए 35 हज़ार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। न्यायालय ने पूछा है कि इस राशि का प्रयोग 18-44 वर्ष की आयु का मुफ्त टीकाकरण करने में इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता। वैक्सीन पॉलिसी मसले पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान अदालतों को मूक दर्शक बनने की परिकल्पना नहीं करता है, वो भी तब जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कार्यकारी नीतियों द्वारा किया जाता है