वक्फ़ क़ानून में संशोधन और इसको लेकर होने वाला विवाद – UPSC

वक्फ़ क़ानून में संशोधन और इसको लेकर होने वाला विवाद – UPSC

इस लेक में आप पढ़ेंगे: वक्फ़ क़ानून में संशोधन और इसको लेकर होने वाला विवाद – UPSC / Waqf amendment bill, 2024


हाल ही में केन्द्र सरकार ने वक्फ़ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले क़ानून में प्रस्तावित संशोधन विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया है. इस प्रस्तावित कानून में निम्न प्रावधान किए गए है –

  • वक्फ़ को ऐसा कोई भी व्यक्ति संपत्ति दान दे सकता है जो कम से कम पाँच सालों से इस्लाम का पालन करता हो और जिसका संबंधित ज़मीन पर मालिकाना हक़ हो.
  • प्रस्तावित संशोधन के तहत अतिरिक्त कमीश्नर के पास मौजूद वक्फ़ की ज़मीन का सर्वे करने के अधिकार को वापस ले लिया गया और उनकी बजाय ये ज़िम्मेदारी अब ज़िला कलेक्टर या डिप्टी कमीश्नर को दे दी गई है.
  • केंद्रीय वक्फ़ परिषद और राज्य स्तर पर वक्फ़ बोर्ड में दो ग़ैर मुसलमान प्रतिनिधि रखने का प्रावधान किया गया है.
  • नए संशोधनों के तहत बोहरा और आग़ाख़ानी समुदायों के लिए अलग वक्फ़ बोर्ड की स्थापना की जाएगी.
  • वक्फ़ का पंजीकरण सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस के ज़रिए होगा. इस पोर्टल के ज़रिए मुतवल्ली यानी वक्फ़ संपत्ति की देखरेख करने वालों को ख़ातों की जानकारी देनी होगी.
  • सालाना पाँच हज़ार रुपये से कम आय वाली संपत्ति के लिए मुतवल्ली की ओर से वक्फ़ बोर्ड को दी जाने वाली राशि को भी सात फ़ीसदी से घटाकर पाँच फ़ीसदी कर दिया गया है.
  • किसी संपत्ति के वक्फ़ के तहत आने या न आने का फ़ैसला लेने का वक्फ़ बोर्ड का अधिकार वापस ले लिया गया है. नए प्रस्ताव के अनुसार मौजूद तीन सदस्यों वाली वक्फ़ ट्राइब्यूनल को भी दो सदस्यों तक सीमित कर दिया गया है. लेकिन इस ट्राइब्यूनल के फ़ैसलों को अंतिम नहीं माना जाएगा और 90 दिन के भीतर ट्राइब्यूनल के फ़ैसलों को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
  • नए विधेयक में सीमा अधिनियम को लागू करने की अनिवार्यता को हटाने का प्रावधान है. इसका मतलब है कि जिन लोगों का 12 साल से वक्फ़ की ज़मीन पर अतिक्रमण करके कब्ज़ा किया हुआ है, वे इस संशोधन के आधार पर मालिक बन सकते हैं.
  • बोर्ड और सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल में दो पद ग़ैर मुसलमानों के लिए आरक्षित किए गए है.

नए कानून को लेकर समस्या क्या है?

  • बोर्ड और सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल में दो पद ग़ैर मुसलमानों के लिए आरक्षित करना ठीक है लेकिन क्या इसका मतलब है कि मुसलमानों को हिंदू मंदिरों के बोर्ड में भी ऐसा ही आरक्षण मिलेगा?
  • वक्फ़ अधिनियम से लिमिटेशन एक्ट यानी सीमा अधिनियम के प्रावधानों को गायब करना भी सही नहीं माना जा सकता. इन प्रावधानों को अगर क़ानून बना दिया गया तो वक्फ़ की संपत्तियों में भारी कमी आएगी, क्योंकि 99 फ़ीसदी वक्फ़ संपत्तियों पर अवैध क़ब्ज़ा है. देश के कई हिस्सों में वक्फ़ की संपत्तियों पर अतिक्रमण करने वाले, ख़ासतौर पर पंजाब और हरियाणा में अवैध रूप से कब्ज़ाई गई हज़ारों एकड़ संपत्तियों के मालिक बन जाएंगे.

वक़्फ़ क्या होती हैं?

वक़्फ़ कोई भी चल या अचल संपत्ति होती है, जिसे कोई भी व्यक्ति जो इस्लाम को मानता हैं अल्लाह के नाम पर या धार्मिक मक़सद या परोपकार के मक़सद से दान करता है. ये संपत्ति भलाई के मक़सद से समाज के लिए हो जाती है और अल्लाह के सिवा कोई उसका मालिक नहीं होता और ना हो सकता है. सप्रीम कोर्ट ने भी जनवरी 1998 में दिए अपने एक फ़ैसले में कहा था कि ‘एक बार जो संपत्ति वक़्फ़ हो जाती है वो हमेशा वक़्फ़ ही रहती है. वक़्फ़ संपत्ति की ख़रीद फ़रोख़्त नहीं की जा सकती है और ना ही इन्हें किसी को हस्तांतरित किया जा सकता है‘. भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने भारत की सभी वक़्फ़ संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजीटल करने के लिए वक़्फ़ एसेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ़ इंडिया (WAMSI) प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट की अगस्त 2022 की रिपोर्ट के मुतबिक देशभर में कुल 851535 वक़्फ़ संपत्तियां हैं. सर्वाधिक वक़्फ़ संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार में शिया और सुन्नी संपत्तियों के प्रबंधन के लिए अलग-अलग वक़्फ़ बोर्ड हैं. उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के पास 210239 संपत्तियां हैं, जबकि उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के पास 15386 संपत्तियां हैं. यूपी के बाद सर्वाधिक वक़्फ संपत्तियां देश में पश्चिम बंगाल में हैं, जहां 80480 संपत्तियां वक़्फ़ दर्ज हैं. इसके बाद पंजाब में 70994 संपत्तियां हैं. तमिलनाडु में 65945 वक़्फ संपत्तियां हैं जबकि कर्नाटक में 61195 वक़्फ़ संपत्तियां हैं. वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 1995 का वक़्फ़ एक्ट और 2013 का वक़्फ़ संशोधन क़ानून भी है. हिंदुस्तान में वक़्फ़ की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर एक स्वायत्त निकाय है जिसे सेंट्रल वक़्फ़ काउंसिल कहते हैं. इसके अलावा राज्य स्तर पर वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए वक़्फ़ बोर्ड हैं. भारत में कुल 32 वक़्फ़ बोर्ड हैं.

भारत में रेलवे और रक्षा विभाग के बाद सबसे ज़्यादा संपत्ति वक़्फ़ बोर्डों के पास है. इस्लाम के हिसाब से इन संपत्तियों से अर्जित फ़ायदे का इस्तेमाल ग़रीबों, यतीमों और ज़रूरतमंदों के लिए होना चाहिए. लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि वक़्फ़ संपत्तियों की सही से देखभाल न होने और प्रबंधन ना होने की वजह से इनसे हो सकने वाला फ़ायदा मुसलमानों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

नोट –1 -वाक़िफ़ः वो व्यक्ति जो संपत्ति दान कर रहा है;
         2 -मुतवल्लीः वो व्यक्ति जो संपत्ति का प्रबंधन करता है;
         3 -वक़्फ़ बोर्डः स्वायत्त बोर्ड जो इन संपत्तियों के प्रबंधन की निगरानी करते हैं.