5G प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के लिए एक अवसर भी और चुनौती भी – UPSC

5G प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के लिए एक अवसर भी और चुनौती भी – UPSC

आज दुनिया औद्योगिक क्रांति के चौथे चरण में प्रवेश करने वाली है, जिसमे 5G तकनीकी एक अहम् भूमिका निभाने वाली है। 1980 के दशक में जहाँ 1G प्रौद्योगिकी का प्रारंभ हुआ था वहीँ आज 5G मोबाइल इंटरनेट की पांचवी पीढ़ी है जो डाटा ट्रांसफर करने का अबतक का सबसे तेज और सुरक्षित तरीका होगा। जहाँ 4G मोबाइल संचार तकनीक 45 MBPS की अधिकतम स्पीड देने में ही सक्षम है वहीँ 5G इससे बीस गुना तेज अर्थात लगभग 1 GBPS की स्पीड दे सकेगी । इस प्रौद्योगिकी के प्रयोग से निम्न क्षेत्रो में प्रगति देखी जा सकेगी :-

  1. तेज इंटरनेट स्पीड और कम लेटेंसी (Latency is a measure of delay) के होने के कारण यह सर्वर रहित ऍप्लिकेशन्स एवं रिमोट कण्ट्रोल सर्जरी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
  2. 5G से जुड़ने वाली Devices की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी।
  3. इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT) के जरिये लोगो के रोजमर्रा के काम आसान हो जायेंगे
  4. तेज रफ़्तार डाटा ट्रांसफर के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर वीडियोस लोड करना आसान हो जायेगा जिससे इ-लर्निंग जैसे प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा मिलेगा।
  5. स्मार्ट सिटी योजना, कृत्रिम बुद्धिमता, ऑटोमेटेड व्हीकल और रोबोटिक सर्जरी के विकास में यह तकनीक क्रांतिकारी सिद्ध होगी।
  6. इसमें FIXED BROADBAND सेवा के विकल्प के रूप में FIXED WIRELESS ACCESS का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

आज दुनिया के लगभग सभी बड़े देश 5G तकनीकी को विकसित करने की होड़ में लगे हुए है। दक्षिण कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस और जापान जैसे देश शीघ्र 5G सेवा प्रारम्भ करने वाले है और इनमे दक्षिण कोरिया सबसे आगे है। 5G भारत सरकार की डिजिटल इंडिया योजना का एक हिस्सा है, 460 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपभोगताओं के साथ चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल इंटरनेट बाजार है। हालाँकि भारत के सम्मुख कुछ बड़ी चुनौतियां भी है जैसे कि :-

  1. 5G के लिए एक मजबूत आधारभूत संरचना की आवश्यकता होगी जिसके लिए दूरसंचार कंपनियों को अधिक निवेश करना होगा जबकि भारती एयरटेल जैसी दूरसंचार कंपनी पहले ही पूंजी के अभाव से जुंझ रही है
  2. भारत के कई सुदूर-ग्रामीण क्षेत्र ऐसे है जहाँ अभी भी दूरसंचार क्रांति नहीं पहुँच पाई है, ऐसी स्थिति में 5G तकनीकी वाले क्षेत्रो तथा अल्पविकसित ग्रामीण क्षेत्रो में असमानता बढ़ेगी और यह असमानता डिजिटल डिवाइड को प्रोत्साहन देगी।
  3. इस तकनीकी से ऐसे लोगो की निजता पर संकट खड़ा हो सकता है जो संचार तकनीकी से बहुत ज्यादा परिचित नहीं है
  4. आज भी इंटरनेट में सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली वेबसाइट विदेशी है ऐसे में भारतीय डेवेलपर्स को अच्छे सॉफ्टवेयर बनाने होंगे।
  5. दूरसंचार विभाग के द्वारा 5G स्पेक्ट्रम की कीमतों को कम रखना भी एक बड़ी चुनौती होगा ताकि शहरी और ग्रमीण भारत के बीच की खाई पाटी जा सके।

5G के परीक्षण को हाल ही में सरकार के द्वारा मंजूरी प्रदान की गयी है लेकिन इसके लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी 2022 से पहले नहीं होने वाली है और न ही दूरसंचार कम्पनिया जल्दी ही नीलामी के पक्ष में है क्योकि कंपनियों के लिए पूंजी जुटाना और दूसरी आधारभूत संरचनाओं के लिए रोडमैप तैयार करने हेतु समय की आवश्यकता होगी ।