इस लेख में आप पढ़ेंगे : भारत और पाकिस्तान के मध्य आर्थिक संबंधों की पुनर्बहाली क्या संभव हो पाएगी ? – UPSC
सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद और सीमा सम्बन्धी मसलों को लेकर भारत और पाकिस्तान के मध्य राजनीतिक सम्बन्ध कभी भी सामान्य नहीं रहे हैं। हाँ कभी खेल कूटनीति तो कभी बस कूटनीति के द्वारा संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में प्रयास भी होते रहे हैं। यह अलग बात है की पाकिस्तान के सैन्य जनरलों और ISI ने इन प्रयासों को पटरी पर नहीं आने दिया है।
हाल ही में दोनों देशों के मध्य आर्थिक संबंधों की पुनर्बहाली को लेकर कभी हाँ तो कभी ना की स्थिति चर्चा में बनी हुई हैं। इस समय दोनों देशो के मध्य द्धिपक्षीय व्यापर सीमित मात्रा में अर्थात मात्र 2.6 अरब डॉलर के करीब है। जबकि विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि दोनों देशों के बीच व्यापारिक अवरोधों को समाप्त कर दिया जाए तो यह व्यापार 38 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत ने वर्ष 1996 में ही पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MOST FAVOURED NATION) का दर्जा प्रदान कर इस दिशा में कदम भी उठाया था और उम्मीद की गई कि बदले में पाकिस्तान भी कोई ऐसा ही सकारात्मक कदम उठाएगा। लेकिन अपनी अंदरूनी राजनीतिक खींच-तान के चलते वह ऐसा नहीं कर पाया। वर्ष 2019 में पुलवामा की आतंकी घटना के चलते भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया था और वहां से आयात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क 200% तक बढ़ा दिया था।
दरअसल दोनों देशो के मध्य सीमित स्तर पर होने वाले व्यापार के पीछे दो मुख्य कारण उत्तरदायी रहे है :
- व्यापार की संवेदशील सूची का लागु होना जिसके तहत भारत ने कुल 614 पाकिस्तानी वस्तुओं को ऐसी सूची में रखा है अर्थात इन वस्तुओं पर नियमबद्ध तरीके से शुल्क वसूल किये जाते हैं , जबकि पाकिस्तान ने इस सूची में 936 वस्तुओं को रखा है।
- दोंनो देशों के बीच व्यापार की नकारात्मक सूची का होना भी एक बड़ा कारण है। इस सूची में जिन वस्तुओं को रखा जाता है उसका दूसरे देशों के साथ व्यापार ही नहीं किया जाता। पाकिस्तान ने कुल 1209 भारतीय वस्तुओं को नकारात्मक सूची में डाल रखा है। इसमें टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल, प्लास्टिक और ऑटो पार्ट्स विशेष रूप से सम्मिलित है।
दोनों देशों के बीच व्यापार रद्द होने से कुछ क्षेत्रों में काफी असर हुआ है। पाकिस्तान में जहाँ कपडा उद्योग और चीनी का बाज़ार प्रभावित हुआ है तो वहीँ भारत में इसके कारण सीमेंट उद्योग, छुआरे और सेंधा नमक के बाज़ार पर असर पड़ा है। पाकिस्तान ने भारत से जितनी भी वस्तुओं का आयात किया है उसमे कपास की कुल हिस्सेदारी 24% थी, जबकि चीनी के आयात की हिस्सेदारी 9% थी। व्यापार प्रतिबंध के बाद उसने ब्राज़ील,चीन और थाईलैंड से चीनी आयात करना शुरू किया है। इससे चीनी की आपूर्ति कम हो गई और घरेलु बाज़ार में इसके दाम बढ़ गए। इसी प्रकार भारत में छुआरों के दामों में तेज़ी से उछाल देखा गया है।
यदि दोनों देशों के मध्य आर्थिक संबंधों की पुनर्बहाली होती है तो राजनीतिक स्तर पर भी बातचीत का माहौल तैयार हो सकेगा। हाल ही में पाकिस्तान ने जिस प्रकार से अनुच्छेद 370 को भारत का अंदरूनी मामला बताया है, चर्चा तो यह भी है की संयुक्त अरब अमीरात दोनों देशों के मध्य बातचीत के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है। ऐसे में माहौल तो बना हुआ है। अब देखना होगा कि पाकिस्तान व्यावहारिक धरातल पर आगे बढ़ने का प्रयास करता है अथवा नहीं। असल मुद्दा यही होगा की क्या वहां की सरकार और सेना ईमानदारी से आतंकी गुटों पर नकेल कसने में कामयाब हो सकती है। क्योंकि आतंकवाद और बातचीत आज की परिस्तिथियों में एक साथ संभव नहीं है।