इस लेख में आप पढ़ेंगे : सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) – RBI की मांग – UPSC
गत वर्षों में बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्राओं की बढ़ती मांग ने क्रिप्टोकरेंसी के विषय पर RBI का ध्यान आकर्षित किया है। ज्ञात रहे कि RBI देश का मौद्रिक नियामक है और आधिकारिक भारतीय मुद्रा जारी करता है। विकेन्द्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती मांग को देख़ते हुए RBI ने 2018 में एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें सभी बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने से रोका गया। इस सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मई 2020 में असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।
ज्ञात रहे कि निजी मुद्रा में स्वाभाविक रूप से कई जारीकर्ता शामिल हो जाते हैं, जो इसे अस्थिर बना देते हैं। ऐसी परिस्तिथियों में, निजी आभासी मुद्राओं को कुछ हद तक नियंत्रित करने के लिए, भारत भी अब उन देशो की सूची में शामिल हो गया है, जहाँ केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) पायलट परियोजनाओं की बातचीत चल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी को लीगल टेंडर बनाने की मांग भी इसी चिंता से सम्बंधित है।
CBDC का विचार हाल का विकास नहीं है। इसकी उत्पत्ति का श्रेय 1980 के दशक में जेम्स टोबिन को दिया जा सकता है। इसे निम्न शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है –
“CBDC एक डिजिटल रूप में एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई कानूनी निविदा (legal tender) है। यह फिएट मुद्रा** (fiat currency) के समान है और फिएट मुद्रा के साथ एक-से-एक विनिमय (exchange) योग्य है। केवल इसका रूप भिन्न है।”
**फिएट मुद्रा (कागज़ी मुद्रा) एक प्रकार का पैसा है जो सोने या चांदी जैसी किसी भी वस्तु द्वारा समर्थित नहीं है, और आमतौर पर सरकार के एक डिक्री द्वारा कानूनी निविदा के रूप में घोषित किया जाता है।
इंटरनेट के प्रचलन के कारण क्रिप्टोकरेंसी का बुखार लगभग सभी मुख्या देशों में फ़ैल गया है। वैश्वीकरण ने इस प्रसार को और भी आसान बना दिया है। निजी क्रिप्टोमुद्राओं को यदि लम्बे समय तक अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर एक अस्थिर प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन इस आधिकारिक चिंता ने क्रिप्टोकरेंसी की सार्वजनिक मांग में सेंध भी नहीं लगाई है। यहाँ तक कि –
- अल सल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी निविदा घोषित करने वाला पहला देश बन गया है।
- कनाडा, जापान और थाईलैंड जैसे देशों ने भुगतान पद्धति के रूप में आभासी मुद्राओं के उपयोग की अनुमति दी है।
- नाइजीरिया अपनी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा (ई-नायरा) पेश करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
- चीन ने भी अपनी डिजिटल मुद्रा (e-RMB) के लिए ट्रायल रन शुरू कर दिया है।
- यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) और RBI ने भी CBDC की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया है।
डिजिटल मुद्रा कि इस लगातार बढ़ती मांग का कारण इसकी कुछ अनूठी विशेषताएं हैं, जो पारम्परिक मुद्रा में उपलब्ध नहीं हैं। ये विशेषताएं हैं :
- भौतिक मुद्रा की छपाई और परिवहन की लागत ख़त्म हो जाएगी।
- जालसाज़ी की गुंजाईश ख़त्म हो जाएगी।
- पता लगाना आसान हो जाता है की ‘पैसा इच्छित लाभार्थी तक पहुंच रहा है या नहीं?’। यह भ्रष्टाचार का पता लगाने और उसे रोकने में मदद करता है।
- ‘व्यवसायी ने धन कहाँ से जमा किया, उसने उचित कर का भुगतान किया या नहीं?’ जैसे प्रश्नो के जवाब देकर यह कर चोरी को रोकने में मदद करता है।
- CBDC का उपयोग करने वाले भुगतान अंतिम होते हैं, इस प्रकार वित्तीय प्रणाली में निपटान जोखिम (settlement risk) को कम करते हैं।
- समय प्रभावी : CBDC धन और प्रेषक और रिसीवर के लिए पर्याप्त समय बचाने में मदद कर सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से इंटरनेट पर संचालित होता है और यह लगभग तात्कालिक होता है। साथ ही साथ, क्रेडिट/डेबिट कार्ड या बैंक जैसे तीसरे पक्ष की आवश्यकता के बिना दो पक्षों के बीच फंड ट्रांसफर आसान होगा।
- यह अन्य ऑनलाइन लेनदेन की तुलना में एक सस्ता विकल्प है। फंड ट्रांसफर न्यूनतम प्रोसेसिंग फीस के साथ पूरा किया जाता है। दूसरी तरफ बैंक, क्रेडिट कार्ड और पेमेंट गेटवे जैसे मध्यस्थ अपनी सेवाओं के लिए शुल्क के रूप में $ 100 ट्रिलियन से अधिक के कुल वैश्विक आर्थिक उत्पादन से लगभग 3% आकर्षित करते हैं। यह फीस इन माध्यमों को महंगा बनाती है।
- बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी जो निजी रूप से जारी की जाती हैं, आतंक और नार्कोटिक्स वित्तपोषण का खतरा पैदा करती हैं। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी एक विकल्प बनकर, इन निजी आभासी मुद्राओं की मांग को काम करेगा।
- वितरण की एकरूपता और शीघ्रता: कर्फ्यू/लॉकडाउन/बैंक हड़तालों के बावजूद वास्तविक समय में देश भर में कहीं भी लाभार्थियों के खाते में पैसा भेजा जा सकता है- छात्रों को छात्रवृत्ति, किसानों को सब्सिडी, और वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन समय पर मिलेगी ।
- नोटों के माध्यम से वायरस का प्रसार रुकेगा।
लेकिन किसी भी नई तकनीक की तरह, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की अवधारणा भी अपने साथ नई चुनौतियाँ लेकर आती है :
- डिजिटल और वित्तीय साक्षरता के अभाव के कारण सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी डिजिटल डिवाइड (digital divide) को बढ़ा सकती है क्योंकि-
- सभी के पास इलेक्ट्रॉनिक गैजेट या इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है;
- हर कोई नहीं जानता कि बैंक खाते को डिजिटल रूप से कैसे संचालित किया जाए;
- देश का हर दुकानदार डिजिटल रूप में भुगतान स्वीकार नहीं करता।
- हैकिंग का खतरा – हाल ही में, हैकर श्रीकी ने 3 बिटकॉइन एक्सचेंज और 10 पोकर वेबसाइटों को हैक किया। CBDC को लोकप्रिय मुद्रा बनाने से पहले इन सभी खतरों से प्रतिरक्षित करने की आवश्यकता है।
- साइबर आतंकवाद – अगर किसी भी कारण से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण काम करना बंद कर देते हैं तो अर्थव्यवस्था काम करना बंद कर देगी।
CBDC से जुड़े सभी हितधारकों को यह समझने की आवश्यकता है कि इन सभी चुनौतियों पर खरे उतरने के बाद ही इसे एक सफल लोकप्रिय मुद्रा विकल्प के रूप में मान्यता प्राप्त होगी। उपर्युक्त आकर्षण और चुनौतियों पर विचार करने के बाद, यह कहना सही होगा कि हालांकि CBDC भौतिक मुद्रा का ‘पूरक’ तो बन सकती है, परंतु यह अभी तक भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्तीय-डिजिटल झटके को प्रेरित करने के जोखिम के बिना, इसे पूरी तरह से प्रतिस्थापित करने में सक्षम नहीं है। UPSC