बाल विवाह (Child Marriage) को रोकने के लिए कड़े कानून कितने न्यायोचित हो सकते है? – UPSC

बाल विवाह (Child Marriage) को रोकने के लिए कड़े कानून कितने न्यायोचित हो सकते है? – UPSC

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हाल ही में असम सरकार ने 14 साल से कम उम्र की नाबालिग़ लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO) के तहत सख़्त कानूनी कार्रवाई करने का फ़ैसला किया है। राज्य सरकार ने शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह को रोकने के लिए सभी 2,197 ग्राम पंचायत सचिवों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत ‘बाल विवाह रोकथाम (निषेध) अधिकारी‘ के रूप में नामित करने का फ़ैसला किया है। ये अधिकारी पॉक्सो एक्ट के तहत उन मामलों में प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराएँगे, जहाँ दुल्हन की उम्र 14 साल से कम है। वहीं लड़की की उम्र 14 साल से 18 साल के बीच होने पर बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत एफ़आईआर दर्ज कराई जाएगी। इससे पहले कर्नाटक सरकार ने भी बाल विवाह के ख़िलाफ़ इस तरह की क़ानूनी कार्रवाई के प्रावधान किए थे।

नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक़, भारत में 10 में से दो से ज़्यादा लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है। भारत में बाल विवाह रोकने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत शादी की उम्र एक लड़की के लिए 18 साल और लड़के के लिए 21 साल होनी चाहिए। बाल विवाह के मामलों में क़ानून का उल्लंघन होने पर दो वर्ष सश्रम कारावास और एक लाख रुपए ज़ुर्माने का प्रावधान है, हालाँकि क़ानून में महिलाओं को ख़ास रियायत है। अगर वह दोषी पाई भी जाती है तो उन्हें जेल की सज़ा नहीं दी जाती। असम सरकार में कैबिनेट ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 लगाने के साथ ही 14 साल से कम उम्र में शादी के मामलों में पॉक्सो एक्ट लगाने का फ़ैसला किया है। आमतौर पर पुराने क़ानून की कई धाराओं के तहत ज़मानत मिलने की गुंज़ाइश रहती है, लेकिन पॉक्सो लग जाने के बाद अभियुक्त को ज़मानत नहीं मिलेगी। भारत में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफ़ेंसेज एक्ट) क़ानून है, जिसमें सात साल की सज़ा से लेकर उम्र क़ैद और अर्थदंड लगाने का प्रावधान है।

यदि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों पर गौर करे तो असम में 18 वर्ष की क़ानूनी उम्र से पहले शादी करने वाली महिलाओं की संख्या करीब 32 फ़ीसदी है। राज्य में क़रीब 12 फ़ीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो बालिग़ होने से पहले ही गर्भवती हो जाती हैं और ये दोनों ही आँकड़े राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा हैं। दरअसल अशिक्षा और गरीबी से जूझ रहे असम के दूर-दराज़ गांवों में पीढ़ियों से चली आ रही बाल-विवाह की प्रथा नई नहीं है, बल्कि काफ़ी समय से चली आ रही है। साल 2006 से बाल विवाह क़ानून का जो प्रावधान है उसके मुताबिक ये एक अपराध है, लेकिन अचानक से इतने सालों बाद अब सरकार लोगों को गिरफ़्तार कर रही है। ये सब वे ग़रीब लोग हैं जिन्हें पता ही नहीं है कि इस तरह का क़ानून मौजूद है। बाल विवाह क़ानून 2006 के साथ जहां तक पॉक्सो लगाने की बात है तो ऐसे मामले में शादी की तारीख़ के तीन साल के भीतर पुलिस को चार्जशीट दाखिल करनी होती है। उससे पुराने मामलों में कोर्ट कार्रवाई नहीं कर सकता।

गौहाटी उच्च न्यायालय ने कहा है कि बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार करने से “लोगों के निजी जीवन में तबाही” मची है, और ऐसे मामलों में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है। 14 फरवरी तक बाल विवाह के 4225 मामले दर्ज कर कुल 3031 लोगों को पकड़ा जा चुका है। यह कार्रवाई 3 फरवरी को 4,004 एफआईआर के साथ शुरू हुई थी। कड़े कानूनों का यह पूर्वव्यापी आवेदन आम लोगों के जीवन के लिए काफी विघटनकारी हो सकता है, जो सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराए जा सकते हैं। कानून के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देने की जरूरत है, खासकर जब इसे आम जीवन में लागू किया जा रहा हो। साथ ही, आने वाली पीढ़ियों को बाल विवाह के नुकसान के बारे में जागरूक करने की जरूरत है ताकि उन्हें इस तरह की प्रथाओं से दूर किया जा सके। माता-पिता की पूर्वव्यापी (retrospective) क़ैद केवल समीकरण में शामिल परिवार और बच्चों के लिए आघात पैदा करेगी।

बाल विवाह को रोकने की दिशा में निम्न  कदम उठाए जाने की आवश्यकता है –

  • स्कूली स्तर से ही बच्चो में इस कुप्रथा के विरुद्ध जागरूकता फैलाई जाए। साथ ही साथ कन्या दान की मानसिकता को भी लोगों के ज़हन से हटाना होगा।
  • सिविल सोसाइटी और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा। जागरूकता और सख्त करवाई दोनों की आवश्यकता है।
  • बाल विवाह का एक मुख्य कारण ग़रीबी है जो एक महिला से हर संभावना को छीन लेती है, जैसे समानता का अधिकार, पढ़ाई का अधिकार या नौकरी करने का अधिकार। ऐसे में लोगो को गरीबी के चंगुल से निकलना जरूरी है।
  • कम उम्र में माँ बनना एक महिला के स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर डालता है लोगो में इस बात की जागरूकता होनी चाहिए।
  • बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को राज्य सरकारे सख्ती से लागु करे.

दुनिया में भारत एक ऐसा देश है, जहाँ 23 करोड़ से ज़्यादा बाल वधू हैं और हर साल तक़रीबन 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है। सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि बाल विवाह को साल 2025 तक 23.3 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के स्तर तक लाना है। यह तभी संभव होगा जब सख्ती के साथ संवेदनशीलता का भी प्रयोग किया जाए।