इस लेख में आप पढ़ेंगे : ई-रुपी (eRUPI) क्या है ? – UPSC
यह डिज़िटल भुगतान प्रणाली की दिशा में उठाया गया अहम क़दम है। ये प्रणाली पैसा भेजने वाले और पैसा वसूल करने वाले के बीच ‘एन्ड टू एन्ड एन्क्रिप्टेड‘ है यानी दो पार्टियों के बीच किसी तीसरे का इसमें कोई दख़ल नहीं है। इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) ने विकसित किया है। यह भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिए एक अम्ब्रेला संगठन है। एनपीसीआई के अनुसार ई-रुपी डिजिटल पेमेंट के लिए एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस प्लेटफ़ॉर्म है। जो QR कोड या SMS के आधार पर ई-वाउचर के रूप में काम करता है। इस ई-रुपी को आसान और सुरक्षित माना जा रहा है, क्योंकि यह बेनेफिशियरीज़ के विवरण को पूरी तरह गोपनीय रखता है।
सरकार अपनी कई योजनाओं के तहत ग़रीबों और किसानों को सहायता के रूप में कैश उनके बैंक खातों में ट्रांसफ़र करती रही है, जैसा कि कोरोना काल में देखा गया है। इस सिस्टम में सरकारी कर्मचारियों का काफ़ी दखल होता है। कई बार लोगों को इसमें काफ़ी परेशानी भी होती है। आरोप ये भी लगते हैं कि सरकारी कर्मचारी रिश्वत भी लेते हैं। ई-रुपी के इस्तेमाल से इसका ख़तरा समाप्त हो जाता है, जो सुनिश्चित करती है कि लाभ बिना किसी परेशानी के बेनेफिशियरीज़ (लाभार्थी) तक पहुंचे। इसे निजी कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं।
सरकार ने 2016 में नोटबंदी लागू करके अवैध कैश को ख़त्म करने और भारत को एक कैशलेस समाज बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया था। हालाकि डिजिटल पुश अब तक बहुत कामयाब नहीं रहा है,डेलॉइट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारत के कुल ट्रांजैक्शन का 89 फ़ीसदी कैश में ही हुआ है।
ई-रुपी, रुपये के डिजिटल रूप को लॉन्च करने की दिशा में एक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसे वर्तमान में लक्ष्मी कहा गया है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की एक पहल है।