इस लेख में आप पढ़ेंगे: सूडान (Sudan) में सियासत का संघर्ष – UPSC
एक समय सूडान, क्षेत्रफल के लिहाज से अफ्रीका का सबसे बड़ा देश था। लेकिन दशकों के गृहयुद्ध के बाद 2011 में इसका विभाजन हो गया और दक्षिण सूडान इससे अलग होकर एक नया देश बना था। सूडान का मौजूदा संघर्ष सेना और अर्धसैनिक बल ‘आरएसएफ’ के मध्य वर्चस्व की लड़ाई जान पड़ती है। अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं। फ़िलहाल सॉवरेन काउंसिल के ज़रिए देश को सेना और आरएसएफ चला रहे हैं। लेकिन सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है। वे एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं। सॉवरेन काउंसिल के डिप्टी और आरएसएफ़ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो यानी हेमेदती देश के दूसरे नंबर के नेता हैं। अब प्रस्तावित नागरिक सरकार में क़रीब एक लाख की तादाद वाली रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स का विलय किया जाना है। इस एकीकृत सेना का नेतृत्व कौन करेगा इसे लेकर सारा झगड़ा बना हुआ है।
सेना की भूमिका
सूडान के लगभग तीन दशक तक राष्ट्रपति रहे उमर अल-बशीर को हटाने के लिए 2019 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया। लेकिन उसके बाद लोकतंत्र बहाली को लेकर लोग संघर्ष करते रहे। आख़िरकार सेना और नागरिकों की एक संयुक्त सरकार की स्थापना की गई थी। लेकिन अक्तूबर 2021 में एक और तख्तापलट के बाद इसे ख़त्म कर दिया गया।
रैपिड सपोर्ट फोर्स की भूमिका
आरएसएफ का गठन 2013 में हुआ था। सेना से अलग इतने मजबूत सुरक्षा बल का होना, सूडान की अस्थिरता की वजह माना जाता रहा है। इसने दारफुर में विद्रोहियों के खि़लाफ़ क्रूरता से लड़ाई लड़ी थी। उस दौरान इन पर बड़े पैमाने पर नृजातीय हिंसा करने का भी आरोप लगा था। जनरल दगालो ने तब से अब तक एक शक्तिशाली सुरक्षा संगठन तैयार कर लिया है। इसने यमन और लीबिया के संघर्षों में भी दख़ल दिया। सूडान में सोने की कई खान नियंत्रित करने के साथ उन्होंने अच्छा ख़ासा आर्थिक साम्राज्य भी बना लिया है।
सूडान की हिंसा में सोने का खेल
सूडान के मोजुदा संघर्ष के कई कारणों में सबसे बड़ा कारण ‘सोना’ भी है। पूरे अफ़्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में है। देश के सबसे मुनाफ़े वाली सोने की खदानों पर हेमेदती और आरएसएफ़ मिलीशिया का कब्ज़ा है, जो अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए इस क़ीमती धातु को केवल ख़ार्तूम सरकार को ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्कों को भी बेचते हैं। 2011 में रिपब्लिक ऑफ़ साउथ सूडान बनने के साथ ही कच्चे तेल के निर्यात से होने वाली दो तिहाई आमदनी सूडान के हाथ से चली गई। साल 2012 में देश के उत्तरी हिस्से में स्थिल ‘जेबेल अमीर’ इलाके में सोने के विशाल भंडार का पता चला जो देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये पर्याप्त था। लेकिन सोने की खोज जल्द ही अभिशाप साबित हुई क्योंकि इस पर कब्ज़े को लेकर विभिन्न पक्षों में लड़ाई शुरू हो गई और इसकी वजह से सोने की अनियंत्रित लूट शुरू हो गई। इस सोने ने ही हेमेदती को देश का मुख्य ताक़तवर नेता बना दिया। इसके साथ ही उनका प्रभाव बढ़ा और चाड और लीबिया से जुड़े सरहदी इलाक़ों पर उनका कब्ज़ा हो गया।
आखिर किसी निर्वाचित सरकार को सत्ता का पूर्ण हस्तांतरण कैसे होगा ?दोनों जनरल और उनके समर्थक, इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि दोनों अपने पदों से हट गए, तो उनके धन और रुतबे का क्या होगा? कई ऐसे मसले है जिनका समाधान निकालना होगा तभी शांति सम्भव है।