इस लेख में आप पढ़ेंगे : कोविड-19 के कारण वैश्विक सेवाओं में उत्पन्न होने वाली बाधाएं – UPSC
विश्व स्वस्थ संगठन और UNICEF की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में नियमित स्वास्थ सेवाओं के तहत वैश्विक स्तर पर 2 करोड़ 30 लाख बच्चो को DPT का टीका नहीं लग सका है। टीके की पहली खुराक से वंचित रहने वाले बच्चो की सबसे अधिक संख्या भारत में है जहाँ 2019 में 14 लाख बच्चो को पहली खुराक नहीं मिल पायी थी, वहीँ 2020 में यह संख्या बढ़ कर 30 लाख हो चुकी है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार महामारी से पहले विश्व में DPT, खसरा और पोलियो के टीकाकरण की दर 46 % थी, जबकि मानक 95 % का है।
गौरतलब है पिछले डेढ़ साल में महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है और अभी भी इससे मुक्ति के आसार दिखाई नहीं देते , ऐसे में सभी देशो का जोड़ फिलहाल इस महामारी पर ही केंद्रित रहा है। पिछले कई महीनो तक तो अस्पतालों में दूसरी गंभीर बीमारियों का इलाज तक नहीं हो पा रहा था। ऐसे में बच्चो का टीकाकरण अभियान प्रभावित होना लाज़मी था। WHO के अनुसार 30 लाख बच्चे खसरे के टीके की पहली खुराक से 2020 में वंचित रहे है। दरअसल किसी भी देश में टीकाकरण जैसे अभियान तभी सफलहो पाते है जब उनके पास पहले से ही स्वास्थ सेवाओं का मजबूत ढांचा हो। भारत की स्वास्थ सेवाएं कितनी बदहाल है यह महामारी एक दौरान उजागर हो चूका है। देशभर में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और सामुदायिक चिकित्सा केन्द्रो की हालत जर्जर है। ऐसे में बच्चो के ज़रूरी टीकाकरण की उपेक्षा होनी ही थी।
यह अपने में कम गंभीर बात नहीं है की DPT की पहली खुराक के मामले में दुनियामे भारत की स्थिति सबसे ज़्यादा ख़राब है। सवाल यह भी उठता है की 2019 में जब कोरोना नहीं था तब 14 लाख बच्चो को DPT का टीका क्यों नहीं लग पाया। दरअसल यह हमारी बीमार स्वास्थ व्यवस्था का सबूत है। सारा दोष केवल मौजूदा महामारी पर डाल देने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए देश की मौजूदा स्वस्थ ढांचे में आमूलचूल (radical) परिवर्तन लाना होगा।