इस लेख में आप पढ़ेंगे: अल नीनो (El Nino) और उसका प्रभाव – UPSC
अल नीनो (El Nino) एक स्पैनिश भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है छोटा लड़का या क्राइस्ट चाइल्ड। इस पर पहली बार 1600 में पेरू और इक्वाडोर के पास दक्षिण अमेरिका के तट पर स्पेनिश मछुआरों द्वारा गौर किया गया था। दरअसल अल नीनो मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर (central and east central equatorial pacific) में समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि से जुड़ी है। यह एक प्राकृतिक रूप से घटित होने वाली जलवायु संबंधी घटना है। अमेरिकी एजेंसी नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के मुताबिक औसतन हर दो से सात साल में अल नीनो घटित होता है और एक एपिसोड आमतौर पर नौ से 12 महीने तक रहता है। सर्दियों के दौरान अल नीनो का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ ) ने 4 जुलाई, 2023 को अल नीनो के शुरू होने की घोषणा की है इसके प्रभाव को निम्न बिन्दुओ में उल्लेखित किया जा सकता है –
- वातावरण में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन के कारण गर्म होते इस ग्रह को भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में पैदा होने वाली अल नीनो ने और गर्म बनाना शुरू कर दिया है। 3 जुलाई, 2023 को वैश्विक औसत तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इससे पहले वैश्विक औसत तापमान का उच्चतम रिकॉर्ड 1979 में था। 5 जुलाई, 2023 को वैश्विक औसत तापमान 17.18 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जबकि 6 जुलाई, 2023 को यह अपने उच्चतम वैश्विक तापामन 17.23 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। करीब 12 जुलाई, 2023 तक वैश्विक औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही बना रहा। डब्ल्यूएमओ के अनुसार जुलाई का पहला सप्ताह सर्वाधिक गर्म सप्ताह के तौर पर रिकॉर्ड किया गया है।
- इस बढ़े हुए तापमान ने दुनिया में और तीव्र होती गर्मी के अन्य लक्षणों को भी जन्म दिया है। 17 जुलाई तक दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिणी यूरोप के कई देश, फारस की खाड़ी, उत्तरी अफ्रीका और चीन में लू दर्ज की गई।
- अतीत में अल नीनो की घटनाओं के कारण आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, भारत सहित दक्षिणी एशिया के कुछ हिस्सों, मध्य अमेरिका और उत्तरी दक्षिण अमेरिका में गंभीर सूखा पड़ा है। हालांकि, अल नीनो का संबंध बढ़ी हुई वर्षा से भी है। खासतौर से दक्षिणी दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका, हॉर्न ऑफ अफ्रीका (सूडान, इरिट्रिया, इथियोपिया, जिबूती और सोमालिया सहित अफ्रीकी महाद्वीप के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र) और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में अल नीनो के कारण ज्यादा वर्षा दर्ज की गई है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक बीती दो सदी में 1902, 1905, 1951, 1965, 1972, 1982, 1987, 2002, 2004, 2009 और 2015 ऐसे वर्ष रहे जब माॅनसूनी वर्षा सामान्य से 10 फीसदी कम रही। वहीं, 1972 में 24 फीसदी, 2002 में 22 फीसदी, 1965 में 19 फीसदी और 2009 में 18 फीसदी सामान्य से कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। यह सारे वर्ष अल नीनो वर्ष रहे हैं।
- अल नीनो का सबसे प्रमुख प्रभाव वॉकर सर्कुलेशन (Walker Circulation) के बदलाव पर पड़ता है जो भारत में कम माॅनसूनी वर्षा का कारण बनता है। वॉकर सर्कुलेशन दरअसल पूर्वी से पश्चिमी प्रशांत महासागर के बीच घटित होने वाला एक महत्वपूर्ण चक्र है। वॉकर सर्कुलेशन के तीव्र होने पर ला नीना और कमजोर होने पर अल नीनो की स्थितियां बनती हैं।
- अल नीनो की स्थितियों में भयंकर आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ता है। 2023 में बन रही अल नीनो की स्थितियों के आधार पर अनुमान लगाया है कि 2029 तक पूरी दुनिया में 3 खरब ( ट्रिलियन) डॉलर का नुकसान हो सकता है। यह आंकड़ा भारतीय जीडीपी के करीब है।1982-83 के बाद पांच वर्षों में 4.1 खरब डॉलर और 1997-98 के पांच वर्षों के बाद बाद 5.7 खरब डॉलर वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा था।
इस प्रकार कई उच्चतम जलवायु आंकड़ों को पछाड़कर 2023 चरम घटनाओं का एक नया रिकॉर्ड वर्ष बन गया है। इस वर्ष जुलाई के शुरुआती दो हफ्तों में पृथ्वी इतनी गर्म हुई जितनी वह पिछले कम से कम एक लाख साल में कभी नहीं हुई थी। दुनिया के महाद्वीपों में जलवायु परिवर्तन के लगभग सभी भयंकर लक्षण दिखाई दिए। इसमें वैश्विक और क्षेत्रीय तापमान के सभी पुराने रिकॉर्ड धवस्त हो गए। दुनिया ने लंबे लू का दौर देखा। जंगल में भीषण आग की घटनाएं घटीं। विनाशकारी बाढ़ व भूस्खलन ने जान-माल को बर्बाद किया। एक तरफ समुद्री ताप और तटीय लू थी तो दूसरी तरफ अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ का सबसे कम विस्तार भी देखा गया। जलवायु परिवर्तन के इन सभी लक्षणों में अल -नीनो का कितना बड़ा हाथ रहने वाला है इस पर बहस होती रहेगी।
ओशियन नीनो इंडेक्स / Oceanic Nino Index(ओएनआई) – अल नीनो (El Nino) की स्थिति में भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के एक विशिष्ट क्षेत्र, जिसे “नीनो 3.4 क्षेत्र” के रूप में जाना जाता है, में समुद्र के सतह का तापमान (एसएसटी) औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस या अधिक गर्म हो जाता है। इस तापमान मान को ओशियन नीनो इंडेक्स (ओएनआई) के रूप में भी जाना जाता है। यदि नीनो 3.4 क्षेत्र में ओएनआई -0.5 डिग्री सेल्सियस या उससे कम रहे तो वह ला नीना (La Nina) माना जाता है।