इस लेख में आप पढ़ेंगे : क्या बेलारूस रूस के लिए दूसरा क्रीमिया बनने की राह पर है? – UPSC
हाल ही में एक यूरोपियन फ्लाइट का रूट बदलने व एक विपक्षी एक्टिविस्ट और पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर बेलारूस सुर्ख़ियों में है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इस घटना के चलते उस पर प्रतिबन्ध थोप दिए हैं जो दो जून, 2021 से प्रभावी हो जाएंगे।
यदि बेलारूस की राजनीति की बात की जाए तो वहां राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको 1994 से ही सत्ता पर काबिज़ हैं जो यूरोप के आखिरी तानाशाह माने जाते हैं। रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलेक्जेंडर लुकाशेंको का हमेशा समर्थन करते रहे हैं। दरअसल इसके पीछे उनके राजनीतिक हित छिपे हुए हैं। उनका मानना हैं कि भाषा, नस्ल, इतिहास और धर्म के मामले में दोनों देशों के लोग एक समान हैं। ऐसे में यदि बेलारूस और रूस एक दुसरे के करीबी हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 8 दिसंबर 2019 को ‘यूनियन स्टेट ऑफ रूस और बेलारूस’ की बीसवीं वर्षगाँठ मनाई गई थी। यूनियन स्टेट ऑफ रूस और बेलारूस को सुपरनेशनल एंटटी भी कहा जाता है अर्थात दोनों देशों में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समन्वय।
पुतिन स्वंय को सोवियत यूनियन का सच्चा उत्तराधिकारी मानते हैं और उन्हे लगता हैं की वे रूस को फिर से वही प्रतिष्ठा और रुतबा बहाल करा सकते हैं जो उसे शीत युद्ध काल में प्राप्त था। ऐसे में पुतिन उस एकीकरण के रास्ते पर चल रहे हैं जिसमे देर-सवेर बेलारूस का रूस में विलय तय है। 1990 के दशक में राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको भी मॉस्को और मिंस्क के एकीकरण के समर्थक थे। लेकिन समय-समय पर उनकी राय बदलती रही है और दिसंबर 2019 में उन्होंने कहा था की उनकी सरकार किसी भी मुल्क का हिस्सा नहीं बनना चाहती, यहां तक कि सिस्टर रूस का भी नहीं।
बेलारूस कई मामलों में पूरी तरह से रूस पर निर्भर है जैसे की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के मामले में। यहाँ तक की बेलारूस को रूस से सबसे ज़्यादा क़र्ज़ मिलता है। रूस इस निर्भरता का इस्तेमाल एक हथियार के तौर पर करता रहा है। वह चाहता है कि बेलारूस दूसरा क्रीमिया बन जाए। यदि वहां कोई जंग होती है तो उससे पुतिन की लोकप्रियता बढ़नी लाज़मी है। ऐसा कॉककस, चेचेन्या और यूक्रेन में पहले भी हो चुका है। रूसी राष्ट्रपति को लगता है कि बेलारूस को रूस के भीतर ही होना चाहिए। यह सच है कि बेलारूस रूस से बहुत अलग नहीं है लेकिन जैसा दो दशक पहले था वैसा अब नहीं है। यह विरोध-प्रदर्शन से भी साबित होता है। अगस्त 2019 में बेलारूस में एक सर्वे हुआ था जिसमे 75.6 फ़ीसदी लोगों ने रूस से दोस्ताना संबंध, खुली सरहद, न कोई वीज़ा और न ही कस्टम का समर्थन किया लेकिन स्वतंत्र संप्रभु देश की शर्त पर। यदि बेलारूस का रूस में विलय होता है तो निश्चित तौर पर पुतिन का राजनितिक कद बढ़ेगा और वे 2024 के बाद भी सत्ता में बने रह सकते हैं। जबकि रूसी संविधान में एक व्यक्ति दो कार्यकाल से ज़्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता है।
हाल ही में अमेरिका और यूरोपियन संघ के साथ बेलारूस के तनाव ने रूस को एक अवसर प्रदान किया है की वह लुकाशेंको को एकीकरण के रास्ते की और आकर्षित कर सकें। हलाकि मिंस्क में विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए यह एकीकरण इतना आसान भी नहीं होगा। इसके अलावा अमेरिका और यूरोपियन संघ का भी पूरा प्रयास होगा कि रूस इस मामले में कोई बढ़त हासिल न कर पाए।