इस लेख में आप पढ़ेंगे : जलवायु प्रदर्शन रैंकिंग (Climate Performance Index) – UPSC
क्लाईमेट एक्शन नेटवर्क (सीएएन) और न्यू क्लाईमेट इंस्टीटयूट ने गैर-लाभकारी संगठन जर्मन-वॉच के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) की रिपोर्ट जारी की है। सीसीपीआई 14 संकेतकों के साथ चार श्रेणियों को देखता है। जिसमें ग्रीनहाउस गैस-उत्सर्जन (कुल स्कोर का 40 फीसद), नवीकरणीय ऊर्जा (20 फीसद), ऊर्जा उपयोग (20 फीसद) और जलवायु नीति (20 फीसद) शामिल है।
65 देषों की सूची में अमेरिका 55वें नंबर पर है। वहीं चीन 2020 की तुलना में चार स्थान नीचे खिसककर 37वें नंबर पर पहुंच गया है, जिसे ‘कम रैंकिंग’ में रखा गया है। इसी तरह यूरोपीय संघ भी पिछले साल की तुलना में छह स्थान नीचे गिरकर 22वें नंबर पर आ गया है और ‘मध्यम रैंकिंग’ में है। यूनाईटेड किंगडम ने सातवें स्थान के साथ अच्छा प्रदर्षन किया। हालांकि वह भी बीते साल की तुलना में दो स्थान नीचे खिसका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, स्कैंडिनेवियाई देशों ने इस सूची में अच्छा प्रदर्शन किया। डेनमार्क ने जलवायु प्रदर्शन सूची में 76.92 फीसद स्कोर के साथ पहला स्थान प्राप्त किया, इसके बाद स्वीडन और नॉर्वे ने क्रमशः 74.46 फीसद और 73.62 फीसद स्कोर (उच्च रेटिंग) के साथ दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया।
भारत ने इस सूची में अपना दसवां स्थान बरकरार रखा है। वह जी-20 के बेहतर प्रदर्शन करने वाले टॉप देशों में बना हुआ है।भारत पहले से ही अपने 2030 उत्सर्जन लक्ष्य (जो कि 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के परिदृश्य के अनुकूल है) को पूरा करने की ओर अग्रसर है। इसके साथ ही वह गैर-जीवाश्म ईंधन के लिए 40 फीसद हिस्सेदारी के अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य को प्राप्त करने के भी करीब है। इस प्रदर्षन के साथ ही भारत 2030 तक बिजली क्षमता, और ऊर्जा की तीव्रता में 33-35 फीसद की कमी के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। भारत की महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा नीतियों, जैसे कि 450 गीगावाट की अक्षय बिजली क्षमता के लक्ष्य और 2030 तक 30 फीसद इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी ने भी इसमें योगदान दिया।