इस लेख में आप पढ़ेंगे: भारत -बांग्लादेश संबंधो में बढ़ती दूरियाँ : कारण और समाधान – UPSC
अगस्त 2024 के बाद बांग्लादेश में जो भी राजनितिक घटनाक्रम हुआ है, उसने दोनों देशो के संबंधो को काफ़ी हद तक प्रभावित किया है। शेख़ हसीना के 15 साल के शासन कल के दौरान भारत और बांग्लादेश के रिश्ते काफ़ी मज़बूत बने रहे। लेकिन आज अंतरिम सरकार के साथ संबंध काफी तल्ख हो चले हैं। इसके पीछे कई कारण उत्तरदायी हैं:
- भारत ने बांग्लादेश के लिए अपनी उस ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस ले लिया है , जिसके तहत भारत के हवाई अड्डों और बंदरगाहों से हो रहे निर्यात में भारत के सामान के अलावा बांग्लादेश के निर्यात को भी जगह दी गई थी।
- बांग्लादेश ने भारत से पोर्ट्स के माध्यम से यार्न (ऊन या कपास के धागों) के आयात को निलंबित कर दिया है। बांग्लादेश में बेनापोल, भोमरा, सोनमस्जिद, बंग्लाबांधा और बुरीमारी पोर्ट के माध्यम से भारतीय यार्न का आयात किया जाता था।
- शेख़ हसीना को भारत में शरण मिलना और बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाया जाना जैसे मुद्दे पहले से ही तनाव के लिए उत्तरदायी रहे हैं।
- बांग्लादेश की और से माहौल को खराब करने वाली बयानबाज़ी भी तनाव का कारण है। जैसे कि भारत के पूर्वोत्तर के सातों राज्यों को लैंडलॉक्ड (ज़मीन से चारों ओर से घिरा) क्षेत्र बताना ,बांग्लादेश को इस इलाक़े में समुन्द्र का एकमात्र संरक्षक बताना।
- बांग्लादेश चीन और पाकिस्तान की मदद से लालमोनिरहाट एयरबेस को फिर से चालू करने की योजना बना रहा है, जो भारत की सीमा के काफ़ी नज़दीक है और भारत की सुरक्षा के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है।
- बांग्लादेश की तीस्ता परियोजना में चीन की भागीदारी का समर्थन करना।
अतीत में भी बांग्लादेश में ऐसी सरकारें रह चुकी हैं, जो भारत के बारे में बहुत सकारात्मक नहीं थीं, लेकिन तब भी वे भारत के साथ संबंधों को संतुलित रखने को लेकर सतर्क थीं। लेकिन फ़िलहाल ऐसा लगता है कि यूनुस प्रशासन ने भारत के प्रति विशेष रूप से प्रतिकूल रवैया अपना लिया है। आज बांग्लादेश अपने राजनीतिक और सामाजिक अंतर्विरोध से जूझ रहा है। जिससे बांग्लादेश में चरमपंथियों का उदय एक वास्तविकता है। आज का बांग्लादेश.एक सफल कहानी से वापस उस नकारात्मक रास्ते की ओर चल पड़ा है जिससे दीर्घकालिक समस्याएँ पैदा होंगी। भारत एक बड़ा देश है, यह कुछ तरह की लागतों को सह सकता है, लेकिन एक धर्मनिरपेक्ष, उदारवादी इस्लामी राज्य के रूप में बांग्लादेश का भविष्य जीवित रहेगा या नहीं, यह इस वक़्त का अहम सवाल है।