दो बच्चों की नीति (Two Child Policy) का औचित्य – UPSC

दो बच्चों की नीति (Two Child Policy) का औचित्य – UPSC

इस लेख में आप पढ़ेंगे : दो बच्चों की नीति का औचित्य – UPSC

पिछले कुछ सालों से देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नीति या कानून बनाने की मांग उठती रही है। विशेष कर उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति पर जमकर बहस छिड़ी हुई है। लगता है केंद्र सरकार इससे सहमत नहीं है और हाल ही में सरकार ने परिवार नियोजन को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में निम्न जानकारी दी है।

देश में 2005-06 के मुकाबले 2015-16 में कुल प्रजनन दर में कमी आई है। 2005-06 में प्रजनन दर 2.7 थी, जो 2015-16 में घट कर 2.2 हो गई। 36 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 ने कुल प्रजनन दर 2.1 का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इन राज्यों में केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश आदि राज्य शामिल हैं। इन राज्यों ने बिना कोई सख्त कदम उठाए परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ा कर यह लक्ष्य हासिल किया है।

उल्लेखनीय है कि 1994 में जब भारत ने जनसंख्या और विकास की घोषणा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किया था, तो उसमें परिवार के आकार और दो प्रसव के बीच के समय के निर्धारण के बारे में निर्णय लेने का अधिकार दंपती को दिया था। ऐसे में यदि सरकार इस तरह की कोई नीति लाती है तो अपने उस वचन का उल्लंघन करेगी। इतना ही नहीं, आने वाले दिनों में भारत की जनसंख्या में तेजी से कमी आने की भी संभावना जताई जा रही है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि भारत में अगले दो दशकों में जनसंख्या वृद्धि में तेजी से गिरावट देखने को मिलेगी।